नई दिल्लीः यदि किसी रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को गंभीर अपराध या कदाचार का दोषी पाया जाता है तो केंद्र सरकार एक निर्दिष्ट अवधि या अनिश्चित काल के लिए उसका पेंशन रोक सकती है. सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किए हैं. साथ ही, कोई भी सरकारी कर्मचारी, जिसने किसी खुफिया या सुरक्षा-संबंधी संगठन में काम किया हो, सेवानिवृत्ति के बाद ऐसे संगठन के प्रमुख की पूर्व अनुमति के बिना संगठन के से संबंधित कोई भी सामग्री प्रकाशित नहीं करेगा.
ऐसे कर्मचारियों की रोकी जाएगी पेंशन
ऐसे सेवानिवृत्त कर्मियों द्वारा किसी भी रूप में कोई भी संवेदनशील जानकारी, जो देश की संप्रभुता को प्रभावित कर सकती हो, प्रकाशित नहीं की जा सकेगी. सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को एक शपथ पत्र देना होगा, जिसमें यह घोषणा करनी होगी कि वह संबंधित प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा. ऐसे व्यक्ति की ओर से वचनबद्धता को पूरा करने में विफलता के परिणामस्वरूप उसकी पेंशन रोक दी जाएगी.
6 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं नियम
नये नियम 6 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं. केंद्र सरकार ने एक गजट अधिसूचना के माध्यम से अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 में संशोधन किया है. अधिसूचना कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी की गई है. इसके अलावा, संशोधित नियमों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति, जो सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने का पात्र है, उस पर उक्त कर्मचारी की हत्या या हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगता है, तो ऐसे व्यक्ति को उसके विरुद्ध शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही के समापन तक पारिवारिक पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा.
इस दौरान उसकी जगह परिवार के किसी अन्य पात्र सदस्य को पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा. संशोधित नियमों में कहा गया है कि यदि सरकारी कर्मचारी के पति/पत्नी पर उसकी हत्या का आरोप है, और परिवार का दूसरा सदस्य नाबालिग बच्चा है, तो ऐसे बच्चे को पारिवारिक पेंशन विधिवत नियुक्त अभिभावक के माध्यम से देय होगी.
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