लुटियन ने चुराया था संसद भवन का शिल्प?

हिन्दुस्तान के गौरवशाली इतिहास को औपनिवेशिक काल में अंग्रेज इतिहासकारों ने और आजादी के बाद वामपंथी इतिहासकारों ने एक मुहिम के तहत बदनाम किया. प्राचीन काल के विश्वगुरु रहे भारत को आत्महीनता के भाव से भर देने में आत्ममुग्ध अंग्रेजों और उनके वामपंथी पिट्ठुओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी.

Written by - Ravi Ranjan Jha | Last Updated : Feb 10, 2021, 08:22 PM IST
  • लुटियन ने चुराया था ये मैप
  • 64 योगिनी मंदिर का इतिहास
  • भारत की समृद्ध शिल्प विरासत
लुटियन ने चुराया था संसद भवन का शिल्प?

नई दिल्ली: प्राचीन भारत के जितने भी गौरवशाली, अलौकिक, अनूठे तथ्य और प्रमाण थे उनपर इन इतिहासकारों ने साजिशन काला पर्दा डाल दिया. इतना ही नहीं मनगढ़ंत तथ्यों के जरिए प्राचीन भारत के कालजयी साहित्य, अनोखे वास्तुशिल्प और बेमिसाल स्थापत्य कला को इतिहास के पन्नों से बेदखल कर दिया इन गोरे और उनके वामपंथी चेले इतिहासकारों ने.

हम आपको पुख्ता तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर बताएंगे कि दिल्ली (Delhi) में बने संसद भवन के शिल्प को कैसे अंग्रेज शिल्पकार एडविन लुटियन ने भारत के प्राचीन वास्तुशिल्प से चुराया था और कैसे हमारे वामपंथी इतिहासकार इस तथ्य को दबाकर एडविन लुटियन के वास्तुशिल्प पर लहालोट होते रहते हैं.

64 योगिनी मंदिर से चुराया गया था शिल्प

लुटियन दिल्ली की महिमा का बखान करते हुए लाल सलामी गैंग विदेशी वास्तुशिल्प पर लहालोट हो जाता है. दरअसल वामपंथी इतिहासकारों की तंग विचारधाराई लेखिनी की वजह से हम यही मानकर चलते हैं कि हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद का डिजाइन फिरंगी वास्तुशिल्पी एडविन लुटियन ने तैयार किया था.

लाललंगोटधारी इतिहासकारों ने हमें ये नहीं बताया कि एडविन लुटियन ने संसद का डिजाइन मध्यप्रदेश के मुरैया के 64 योगिनी मंदिर से चुराया था. लेकिन आज हम संसद भवन के वास्तुशिल्प की चोरी की कलई न सिर्फ लिखित प्रमाणों बल्कि तस्वीरों के जरिए भी खोलने जा रहे हैं.

अब जरा आप देश के संसद भवन और मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के पड़ावली के पास मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर को गौर से देखिए. दोनों में आपको काफी समानताएं दिख जाएंगी. वैसा ही गोलाकार डिजाइजन, वैसे ही खंभे और वैसे ही दोनों के बीच में स्थित केंद्रीय कक्ष.

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स्तंभों में बस फर्क इतना ही है कि ये संसद भवन के बाहरी हिस्से में लगाए गए हैं जबकि 64 योगिनी मंदिर में ये भवन के भीतरी हिस्से में लगाए गए हैं.  सवाल ये है कि क्या संसद भवन का डिजाइन तैयार करने से पहले एडविन लुटियन मुरैना के 64 योगिनी मंदिर को देखने आया था. स्थानीय इतिहासकार तो यही बताते हैं.

हमेशा से सबसे आगे हिन्दुस्तानी

मतलब साफ है कि एडविन लुटियन ने भारत के ही वास्तुशिल्प को चुराकर भारतीयों को संसद भवन के रूप में नायाब आर्किटेक्ट देने की टोपी पहना दी और हम आजतक उसकी जयजयकार कर रहे हैं. अब आप मुरैना के 64 योगिनी मंदिर और संसद भवन वास्तुशिल्प की समानता और निर्माण काल के फर्क को भी समझ लीजिए.

मुरैना के मितावली गांव में स्थित 64 योगिनी मंदिर का निर्माण एक शिलालेख के मुताबिक 1323 ईस्वी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था. संसद भवन का डिजाइन एडविन लुटियन ने साल 1912-13 में तैयार किया था. 64 योगिनी मंदिर का निर्माण कार्य 13वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुआ और ये 1323 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ.

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संसद भवन (Parliament House) का निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ और ये 1927 में बनकर पूरा हुआ. 64 योगिनी मंदिर में कुल 101 खंभे हैं जबकि संसद भवन में 144 खंभे हैं. 64 योगिनी मंदिर में कुल 64 कक्ष हैं जबकि संसद भवन में कुल 340 कक्ष हैं. जिस तरह 64 योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हॉल है.

इतनी समानताएं बेखुदी में तो नहीं हो सकतीं. इसका तो साफ मायने यही निकलता है कि भारत की ही समृद्ध शिल्प विरासत को ही नई चाशनी में डूबोकर हिन्दुस्तानियों को बेवकूफ बनाया गया. कमाल ये है कि आजादी के बाद लगभग 7 दशक से इतिहासलेखन पर कब्जा जमाए एक भी वामपंथी इतिहासकार ने 64 योगिनी मंदिर और संसद भवन की समानता को उजागर करने की जरूरत नहीं समझी. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे लाल लंगोटधारियों के गोरे आका नाराज हो जाते.

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