कभी सफेद बनाया गया था लाल किला, रंग में बदलाव की वजह उड़ा देगी आपके होश!

दिल्ली की शान कहलाए जाने वाले लाल किले को देखने के लिए दुनियाभर के लोग का तांता लगता है. इससे जुड़ी हर बात जानने के लिए लोग बेताब रहते हैं. हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि यह लाल किला कभी सफेद हुआ करता था. यह बात सुनकर आप भी यकीनन चौंक गए होंगे.

दिल्ली का लाल किला अपने भीतर कई राज समेटे बैठा है. राजधानी में स्थित लाल किला पर हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं. इतिहास में इस लाल किले से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि यह किला पहले लाल नहीं, बल्कि सफेद हुआ करता था. ऐसे में चलिए आज इसके सफेद से लाल होने की कहानी जानने की कोशिश करते हैं.

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राजधानी दिल्ली में बने लाल किले की चर्चा सदियों से दुनियाभर में रही है. पूरी दुनिया से आए पर्यटक दिल्ली की इस शान को देखने के लिए पहुंचते हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि 17वीं सदी में जब लाल किले का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने किया तब इसे मुख्य रूप से सफेद चूने से तैयार कराया गया था.

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लाल किले का निर्माण दिल्ली में शाहजहां ने 1638 में करवाया था. कहा जाता है कि उस समय इसकी दीवारें और इमारतें सफेद हुआ करती थी. किले के कई हिस्सों में संगमरमर के पत्थर भी लगाए गए थे. हालांकि, खबरों की मानें तो वक्त के थपेड़ों ने इन सफेद पत्थरों की सुंदरता को फीका कर दिया था.

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इसके बाद 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने मुगलों के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर को हटाकर किले पर कब्जा कर लिया था. फिर अंग्रेजों ने किले की देखभाल करते हुए इसमें कई बदलाव किए. वहीं, सफेद इमारतें और संगमरमर के पत्थर भी जर्जर होते गए.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंग्रेजों ने किले की मरम्मत के लिए इस पर लाल रंग के बलुआ पत्थर से इसे तैयार करवा दिया. ऐसा कराने के पीछे का कारण बताया जाता है कि इसकी दीवारें मजबूत रहेंगी और मौसम की मार से इसका रंग नहीं बदलेगा. इसके अलावा कहते हैं कि उस समय लाल बलुआ पत्थर बहुत प्रचलित भी था, इस कारण भी किले में लाल बलुआ का इस्तेमाल हुआ.

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क्या आप जानते हैं कि लाल किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है. इसके अंदर कई खूबसूरत महल, बाग और मस्जिदें बनी हैं. मोती मस्जिद यहां का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है.