नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी है.
जुबैर को ट्वीट करने पर कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों की अंतरिम जमानत दी. साथ ही मामले को रेगुलर बेंच के पास मामला भेजा. इस दौरान जुबैर को ट्वीट करने पर कोर्ट ने रोक लगाई
Supreme Court grants interim bail to Alt News' co-founder Mohammad Zubair in the case registered against him in Sitapur, Uttar Pradesh; also issues notice to the UP police on Zubair's plea challenging Allahabad High Court order. pic.twitter.com/xvnwwJr4hI
— ANI (@ANI) July 8, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को उनके खिलाफ सीतापुर, उत्तर प्रदेश में दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दी. साथ ही सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली जुबैर की याचिका पर यूपी पुलिस को नोटिस भी जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों के लिए अंतरिम जमानत इस शर्त पर दी कि वह मामले से संबंधित मुद्दे पर कोई नया ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे और सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर बेंगलुरू या कहीं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा.
#UPDATE Supreme Court adds that Zubair shall not tamper with electronic evidence in Bengaluru or anywhere else.
— ANI (@ANI) July 8, 2022
जुबैर के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?
जुबैर के वकील ने कहा कि नफरत फैलाने वालों की जानकारी सामने लाने वाला जेल में है. नफरत फैलाने वाले आजाद घूम रहे हैं. धर्म का अपमान करने की धारा लगी है, वह किसी तरह लागू नहीं होती. अश्लील सामग्री पोस्ट करने की धारा भी लागू नहीं होती.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जुबैर आदतन अपराधी है. पिछले 2 साल में 6 मुकदमा दर्ज हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या धार्मिक भवना भड़काने का मामला बनता है? यूपी पुलिस के वकील एस वी राजू ने कहा कि सीतापुर के प्रतिष्ठित महंत बजरंग मुनि को नफरत फैलाने वाला बता दिया. उनके लाखों समर्थक हैं, क्या यह उन्हें भड़काने का मामला नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है. यह नहीं कह सकते कि इसे तुरंत नहीं देखना चाहिए. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इनकी याचिका 15 जून को दाखिल हुई थी. सीधे 7 जुलाई को सुनवाई की मांग रखी. 1-2 ट्वीट का मामला बता कर सुनवाई की मांग की. जान को खतरे का सवाल ही नहीं है, जब कोई पुलिस सुरक्षा में है.
तो सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार ज़ुबैर को सर्शत जमानत दी है. FIR रद्द करने की जुबैर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया. जुबैर ने सीतापुर में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है.
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