Hindenberg Adani Saga: सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजारों के विभिन्न पहलुओं के साथ अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट की जांच के लिए बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में एक समिति के गठन का आदेश दिया. समिति को अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर देनी होगी. अमेरिका की शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हाल में आई भारी गिरावट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा कदम उठाया है.
कोर्ट ने दिया 6 सदस्यीय जांच समिति बनाने का आदेश
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि समिति इस मामले में पूरी स्थिति का आकलन करेगी और निवेशकों की सभी चीजों के बारे में जागरूक करने और शेयर बाजारों की मौजूदा नियामकीय व्यवस्था को मजबूत करने के उपाय सुझाएगी. पीठ ने केंद्र सरकार के साथ-साथ वित्तीय सांविधिक निकायों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के सुझावों को लेने से किया था इंकार
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ओ पी भट और न्यायमूर्ति जे पी देवदत्त भी छह समिति के सदस्य होंगे. समिति के अन्य सदस्यों में नंदन नीलेकणि, के वी कामत, सोमशेखरन सुंदरसन शामिल हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए विशेषज्ञों की प्रस्तावित समिति पर सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को लेने से इनकार कर दिया था.
अब तक दायर की जा चुकी थी 4 जनहित याचिकाएं
अभी तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चार जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं. ये याचिकाएं अधिवक्ता एम एल शर्मा, विशाल तिवारी तथा कांग्रेस नेताओं जया ठाकुर और मुकेश कुमार ने दायर की हैं. उल्लेखरीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है. रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया है. हालांकि, समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
न्यायालय ने केंद्र, वित्तीय सांविधिक निकायों, सेबी चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट का समिति को अपनी जांच रिपोर्ट दो माह में सौंपने का निर्देश दिया है.
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