नई दिल्ली: Bharat Bandh Rajasthan: भारत बंद का सबसे अधिक असर राजस्थान में देखने को मिल रहा है. हालांकि, देशभर के कई राज्यों के संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसका आह्वान किया था. इसका व्यापक असर राजस्थान में ही देखने को मिल रहा है. जबकि यूपी की सियासत में बड़ा रसूख रखने वाली मायावती ने भी भारत बंद का समर्थन किया था. फिर भी राजस्थान में इसका प्रभाव अधिक क्यों है? आइए, जानते हैं...
राजस्थान में भारत बंद का असर कितना?
राजस्थान के करीब 16 जिलों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी की गई है. यहां के 4 जिलों में नेट भी बंद किया गया है. जोधपुर में प्रदर्शनकारियों ने गर्म तेल तक फेंका है. पुलिस चौकी पर चढ़कर नारेबाजी की गई है. राजधानी जयपुर में बसें बंद की गई हैं.
कुल आबादी का बड़ा हिस्सा SC और ST
राजस्थान में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी मिला दें तो ये 31% है. ये राज्य की कुल आबादी का बड़ा हिस्सा है. इसमें SC 18 प्रतिशत और ST 13 प्रतिशत है. ये राजनीतिक तौर पर प्रभावी हैं. SC के लिए 34 सीटें रिजर्व हैं, जबकि ST के लिए 25 सीटें रिजर्व हैं.
आंदोलन का अनुभव
राजस्थान में आदिवासी समुदाय की मीणा जाति बड़ी संख्या में है. सामाजिक रूप से मीणा सक्रिय जाति रही है. इस जाति ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर पहले भी कई आंदोलन किए हैं. इन्हें आंदोलन का अनुभव है, इसलिए इन्होंने इस बार भी आंदोलन को लेकर तुरंत रूपरेखा तैयार कर ली. इसी तरह जब SC-ST एक्ट खत्म होने की बात चली थी, तब भी यहां पर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था.
आदिवासी नेता हैं प्रभुत्वशाली
राजस्थान में दलित और आदिवासी नेता प्रभुत्वशाली हैं. राजस्थान के बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत अपने इलाके में पॉपुलर हैं. हाल ही में उन्होंने 'भील प्रदेश' की मांग को लेकर एक बड़ा आदिवासी सम्मेलन किया था. इसमें आसपास के राज्यों से भी लोग आए थे. भले ही भाजपा के नेता किरोड़ी लाल मीणा इस भारत बंद के पक्ष में न हों, लेकिन पूर्वी राजस्थान में उन्होंने इतने आंदोलन किए हैं कि लोग आंदोलन को खड़ा करने की नीति में माहिर हो चुके हैं.
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