BIGG BOSS भी हो सकता है फ्लॉप इस बार

इस साल दो बड़े टीवी कार्यक्रम काफी नाकाम हो सकते हैं और इनकी टीआरपी मुंह के बल उल्टी धड़ाम हो सकती है. ये कार्यक्रम हैं केबीसी और बिग बॉस. इनके इस बार निकम्मे साबित हो जाने के पीछे भी एक नहीं अनेक कारण हो सकते हैं..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Oct 3, 2020, 11:15 PM IST
    • ये साल विवादों का साल है
    • टाइमिंग बहुत गलत हो गई बिग बॉस की
    • जब सोशल मीडिया दुश्मन हो जाये तो भगवान ही मालिक
BIGG BOSS भी हो सकता है फ्लॉप इस बार

नई दिल्ली.  कोई भी देश हो या कोई भी टेलीविज़न कार्यक्रम हो, उसे सफल या असफल बनाते हैं दर्शक. यदि दर्शकों का दिल किसी ख़ास व्यक्ति से खट्टा हो गया तो उससे जुड़े हुए टेलीविज़न कार्यक्रमों का फिर भगवान ही मालिक है. इस देश में वर्ष 2020 में इस बार दो मेगा-प्रोग्रैम्स के निर्माता और इनको प्रसारित करने वाले टीवी चैनल्स का दिल धड़क रहा है क्योंकि इस साल दर्शकों का मूड दूसरा दिखाई दे रहा है.

ये साल विवादों का साल है 

इस साल 2020 को सिर्फ कोरोना के लिए ही याद नहीं किया जाएगा, इस साल देश भर में होने वाले अजीबोगरीब विवाद अपनेआप में ऐतिहासिक हो गए हैं. चाहे बात करें सुशांत सिंह राजपूत की या बॉलीवुड के मखमली कालीन में छुपे नशे की दलदल की - देश की जनता कई बातों के सामने आने से बुरी तरह चौंकी भी है और अब चौंकन्ना भी है. ऐसे में कई बड़े सितारे जनता के निशाने पर हैं चाहे वे अमिताभ बच्चन हों या सलमान खान. जनता को न इनकी खामोशी पसंद है न ही इनके विवादों से जुड़े चेहरे. 

टाइमिंग बहुत गलत हो गई

टाइमिंग तो बिग बॉस की सही थी लेकिन कोरोना ने इसकी टाइमिंग खराब कर दी. कोरोना ने तो आईपीएल की टाइमिंग भी खराब करने की कोशिश की थी लेकिन आईपीएल के कर्ताधर्ताओं ने क्रिकेटप्रेमी देश की चाहत को ध्यान में रख कर इसकी टाइमिंग फिर से ठीक कर दी और ट्वेंटी-ट्वेंटी का महंगा और लोकप्रिय खेल-कार्यक्रम सितंबर-अक्टूबर में तय कर दिया. इससे हुआ ये कि सातों दिन शाम रात से साढ़े ग्यारह चलने वाले आईपीएल के मैचों के सामने इस टाइम स्लॉट में कोई टीवी कार्यक्रम कामयाब नहीं हो सकता है. 

सोशल मीडिया दुश्मन है 

सोशल मीडिया की अपनी अलग दुनिया है. यह जनमंच है जहां झूठ और सच सब चलता है और लोग एक दूसरे पर विश्वास करते हैं और हर बात को सच मान कर चलते हैं. ऐसे में अगर सोशल मीडिया किसी व्यक्ति या किसी कार्यक्रम का विरोधी हो जाए तो फिर उसके बाद कोई कुछ नहीं कर सकता. किसी व्यक्ति से नाराज़ होने का और उसके बाद उसका बहिष्कार करने का सोशल मीडिया का विशेषाधिकार कोई नहीं छीन सकता. इस नाराजगी का कोई भी कारण हो सकता है और उस कारण का राष्ट्र से धर्म से या मानवता से भी सीधा संबंध हो सकता है- ऐसी स्थिति में इस जनतांत्रिक सामाजिक चौपाल के फैसलों पर न कोई रोक लगा सकता है न अपनी मनमानी चला सकता है. आज स्थति कुछ ऐसी प्रतीत होती है कि भारत का जनमन सोशल मीडिया पर बिग बॉस को प्यार करने के मूड में नहीं हैं.

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