Shardiya Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि के तीसरे दिन ऐसे करें माता कुष्मांडा को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग

Shardiya Navratri 2024 Day 4: माता के इस रूप की आठ भुजाए हैं. माता सिंह पर सवार हैं और उनके 1 हाथ में जपमाला और बाकी 7 हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, चक्र, गदा और अमृत पूर्ण कलश शामिल हैं.   

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Oct 6, 2024, 09:11 AM IST
  • आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है
  • आज माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है
Shardiya Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि के तीसरे दिन ऐसे करें माता कुष्मांडा को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग

नई दिल्ली: Shardiya Navratri 2024 Day 4: आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है. आज माता दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा  की उपासना की जाती है. माता के इस रूप की आठ भुजाए हैं. माता सिंह पर सवार हैं और उनके 1 हाथ में जपमाला और बाकी 7 हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, चक्र, गदा और अमृत पूर्ण कलश शामिल हैं. मां कुष्मांडा की पूजा करने से घर में धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है.  चलिए जानते हैं माता कुष्मांडा की पूजा विधि, भोग और मंत्र. 

पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. 
माता कूष्मांडा की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र पहनें. 
पूजा के समय माता को पीला चंदन लगाएं और कुमकुम, मौली, अक्षत चढ़ाएं.  
मां कुष्मांडा को उनका प्रिय भोग मालपुआ लगाएं. माता हरी इलायची और सौंफ से प्रसन्न करें. 
माता कूष्मांडा को पीला रंग बेहद प्रिय है. इस दिन पूजा में माता को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई अर्पित करें. 
माता कूष्मांडा को पीला कमल भी बेहद प्यारा है. माना जाता है कि माता को पीला कमल अर्पित करने से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है.  

माता कूष्मांडा का स्त्रोत मंत्र

देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥ 

माता कूष्मांडा का प्रार्थना मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र-
ऐं ह्री देव्यै नम: 

माता  कूष्मांडा की आरती 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें. 

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