नई दिल्ली: रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर कहा जाता है कि यह त्योहार भाई-बहन का त्योहार होता है. क्या सच में रक्षाबंधन भाई बहन का त्योहार होता है. क्या पत्नी पति को राखी नहीं बांध सकती है. कई बार पति की बहन दूसरे शहर में होती है ऐसे में वह भाई की राखी भिजवा देती है. इस कंडीशन में क्या पत्नी पति को राखी बांध सकती है. आइए जानते हैं राखी बांधने का नियम.
क्या है राखी बांधने का नियम
राखी भाई बहन ही नहीं बल्कि गुरु शिष्य के बीच भी मनाया जा सकता है. शिष्य गुरु को राखी बांध सकते हैं. वहीं पुरोहित यजमान को रक्षासूत्र बांध सकते हैं. मां अपने बेटे को रक्षासूत्र बांध सकती है. वहीं भक्त अपने भगवान को रक्षासूत्र यानी राखी बांध सकते हैं.
राखी बांधने का अर्थ
बहन अपने भाई की कलाई पर जब राखी बांधनी है तो इसका अर्थ होता है कि वह रक्षासूत्र बांधकर भाई की रक्षा की कामना और दुआ मांगती है. वहीं दूसरा अर्थ यह भी है कि जब द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की कटी उंगली में अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर बांध दिया था. भगवान श्रीकृष्ण ने चीर हरण के समय साड़ी के पल्लू के एक धागे का मान रखते हुए द्रौपदी की लाज की रक्षा की थी. राखी बांधने का अर्थ रक्षा करने का वचन से है.
क्या पत्नी बांध सकती है राखी
कुछ जगह पर पत्नी पति की बहन की आई हुई राखी को नहीं बांधती है. ऐसे में आप अपनी बेटी से पति की कलाई पर उनकी बहन द्वारा भेजी हुई राखी बांधवा सकते हैं. वहीं बेटी नहीं है तो घर के किसी भी सदस्य से राखी बांधवा सकते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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