UP की इस लाइब्रेरी में 14 लाख किताबों का खजाना, 146 साल पुरानी, एक दिन में घूम न पाओगे

Pooja Singh
Jan 23, 2025

मौलाना आजाद लाइब्रेरी

अलीगढ़ की मौलाना आजाद लाइब्रेरी कई मायनों में खास है. यह एशिया की दूसरी बड़ी लाइब्रेरी में शुमार है. इसकी 7 मंजिला इमारत 4.75 एकड़ में फैली हुई है. आइए जानते हैं क्यों खास है ये लाइब्रेरी.

कब रखी गई नींव?

इस लाइब्रेरी में लगभग 14 लाख से ज्यादा किताबों का खजाना है. इस लाइब्रेरी की नींव अंग्रेज वायसराय लॉर्ड लिटन ने सन् 1877 में रखी थी.

किसने किया था उद्घाटन?

मौजूदा इमारत का उद्घाटन देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. लाइब्रेरी का नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री के नाम पर मौलाना आजाद पुस्तकालय पर रखा गया था.

यूनिक कलेक्शन

यहां डेढ़ लाख से ज्यादा किताबों का संग्रह है, जिसमें साइंटिफिक कलेक्शन भी है. लाइब्रेरी में 18वीं और 19वीं शताब्दी की किताबें भी हैं.

क्यों है ये खास?

इस लाइब्रेरी की एक खासियत है कि इसमें कुरान और भगवत गीता दोनों ही उपलब्ध हैं. यहां इस्लाम-हिंदू धर्म आदि की लगभग 16,117 अमूल्य किताबें हैं.

दुर्लभ पांडुलिपियां

इस लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां पर 1400 साल पुरानी कुरान की एक लिपि भी मौजूद है. लाइब्रेरी में अबुल फैज द्वारा भगवत गीता का फारसी अनुवाद भी है.

दुर्लभ किताबें

लाइब्रेरी में रामायण, महाभारत, पुराण और गीता का अरबी व फारसी में मुगलों के दौर में अनुवाद की गईं किताबें हैं. यहां इस्लाम धर्म के चौथे खलीफा हजरत अली का लिखा हुआ कुरान भी है.

रीडर्स सर्विस डिवीजन

मौलाना आजाद लाइब्रेरी में रीडर्स सर्विस डिवीजन है.रिसर्च स्कॉलर के लिए अलग डिवीजन है. सामान्य छात्रों के लिए जनरल हॉल.लड़कियों और नेत्रहीनों के लिए भी अलग रीडिंग हॉल है.

कंजर्वेशन लैब

किताबों को संग्रह करने के लिए कंजर्वेशन लैब बनाई गई है. लगभग 8 हजार से अधिक लोग रोज आते हैं. रात 2 बजे तक यह लाइब्रेरी खुलती है.

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