महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा मेला है. इस मेले में देश-दुनिया से लाखों-करोड़ों लोग आए हुए हैं.महाकुंभ में अखाड़े आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं. इस दौरान अखाड़ों का पेशवाई और नगरप्रवेश होता है अखाड़े ही सर्वप्रथम स्नान करते हैं.
अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है जो शस्त्र विद्या में निपुण होता है.
अखाड़ों की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र विद्या में निपुण साधुओं के संगठन बनाए थे. अभी कुल 13 अखाड़े हैं, जिन्हें 3 कैटेगरी शैव, वैष्णव और उदासीन में बांटा गया है.
शैव अखाड़े- शैव संप्रदाय के कुल सात अखाड़े हैं. इनके अनुयायी भगवान शिव की पूजा करते हैं.
वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं, जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करते हैं.
उदासीन संप्रदाय के भी तीन अखाड़े हैं, इस अखाड़े की अनुयायी 'ॐ' की पूजा करते हैं.
श्री पंचदशनाम जूना आखाड़ा को शैव संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा माना गया है. महा इसकी स्थापना उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में 1145 में हुई.
इस अखाड़े के इष्ट देव शिव और रुद्रावतार दत्तात्रेय हैं. इसका मुख्यालय वाराणसी में हैं.
यह अखाड़ा नागा साधुओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है.नागा साधुओं की सर्वाधिक संख्या इसी अखाड़े में पाई जाती है. इसमें लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी हैं.
इस अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज हैं और अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी हैं.
जूना अखाड़े की पेशवाई महाराजाओं की शान-ओ-शौकत जैसी होती है. इसमें स्वर्ण रथ समेत कई तरह के वैभव नजर आते हैं. इस अखाड़े की पेशवाई में हाथी भी शामिल होता है.
निरंजनी अखाड़ा,जूना अखाड़ा,महानिर्वाणी अखाड़ा,अटल अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा,आनंद अखाड़ा,पंचाग्नि अखाड़ा,नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा,वैष्णव अखाड़ा,उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा,उदासीन नया अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा,निर्मोही अखाड़ा,इनमें से जूना, निरंजनी, और महानिर्वाणी अखाड़े प्रमुख हैं.
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