वाराणसी से कोलकाता एक्सप्रेसवे को रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे के तौर पर भी जाना जाता है. इसकी कुल लंबाई 710 किलोमीटर है. यह 6 लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे है.
6 लेन के इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश से बिहार ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल तक आने जाने का रास्ता और आसान होने वाला है. एक्सप्रेसवे वाराणसी से पटना और कोलकाता तक का सफर आसान करेगा.
बता दें कि वाराणसी में चंदौली का का स्ट्रेच 27 किलोमीटर का है, जो आगे कोलकाता-एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा. इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 35 हजार करोड़ रुपये है.
अभी वाराणसी से कोलकाता जाने में करीब 12 से 14 घंटे का समय लगता है. लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद यह दूरी कम हो जाएगी. खबरों की मानें तो लोग महज 6 से 7 घंटे में सफर पूरा कर सकेंगे.
गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज, लखनऊ और दिल्ली से आने वाले वाहन इसी रास्ते चंदौली होते हुए बिहार, झारखंड और बंगाल तक जा सकेंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते साल 23 फरवरी 2024 को इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. लेकिन एनजीटी की आपत्ति की वजह से काम शुरू नहीं पाया.
पटना-आरा-सासाराम फोरलेन ग्रीनफील्ड एनएच 119 ए को वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे से जोड़ने की तैयारी की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पटना-आरा-सासाराम फोरलेन ग्रीनफील्ड एनएच 119 ए को वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे से जोड़ने का काम इसी साल मई 2025 तक शुरू हो सकता है.
जानकारी के मुतबिक इस ग्रीनफील्ड नेशनल हाईवे एनएच-119ए के राज्य सरकार के अनुरोध पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने डीपीआर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है.
ग्रीनफील्ड नेशनल हाईवे का विस्तार होने से बिहार के रोहतास, भोजपुर से लेकर पटना, सासाराम और वाराणसी के साथ कोलकाता को भी फायदा मिलेगा. यही नहीं दिल्ली और लखनऊ की राह भी आसान होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नेशनल हाईवे एनएच-119ए के विस्तार का काम इसी साल मई में शुरू हो सकता है. जिसके साल 2028 तक पूरा किए जाने की संभावना है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.