Rang Panchami 2023: कब है रंग पंचमी? इस दिन देवी देवता खेलते हैं धरती पर होली, जानें शुभ मुहूर्त और उपाय
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Rang Panchami 2023: कब है रंग पंचमी? इस दिन देवी देवता खेलते हैं धरती पर होली, जानें शुभ मुहूर्त और उपाय

Rang Panchami 2023: रंग पंचमी के दिन एक-दूसरे को गुलाल लगाने का विधान है...इस दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है.. इस दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं.. मान्यता है इस दिन इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर आम मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं..

प्रतीकात्मक फोटो

Rang Panchami 2023: हिंदू धर्म में रंग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में अपना अलग महत्व रखता है. रंग पंचमी का त्योहार होली के बाद पांचवें दिन मनाया जाता है. रंगपंचमी को श्रीपंचमी और देवपंचमी भी कहा जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 7 मार्च को होगी.  इसके अगले दिन यानी 8 मार्च को होली खेली जाएगी. तो वहीं इसके पांच दिन बाद यानी 12 मार्च को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा.  आइए जानते हैं रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय.

रंगों का त्योहार है रंग पंचमी
रंगों के त्योहार के लिए ये पर्व मालवा क्षेत्र में अधिक प्रचलित है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रंग पंचमी का यह त्योहार  धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि, इस दिन देवी देवता रंगों और अबीर के साथ होली खेलते हैं. यही वजह है कि इस दिन को रंग पंचमी कहा जाता है.

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रंगपंचमी 2023 तिथि 
चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि आरंभ
11 मार्च-रात 10: 06  मिनट पर 

चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि समाप्त
12 मार्च रात्रि10.02 मिनट पर  

उदयातिथि के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च को मनाया जाएगा.

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रंगपंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ होली खेली थी। इसी कारण इस दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद गुलाल आदि अर्पित करके खेला जाता है। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था जिसके कारण देवलोक में सब दुखी थे। लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन भगवान शिव ने दिया तो सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

रंगपंचमी मनाने का कारण और महत्व
पौराणिक कथाओं  के अनुसार, रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी. इसलिए रंगपंचमी के दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद गुलाल अर्पित करके खेला जाता है. राधा रानी के बरसाना में मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है. पूजा के बाद हुरियारे अबीर-गुलाल उड़ाते हैं.  इस दिन श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित करना चाहिए। वहीं विशेष प्रकार के पकवान बनाएं और भगवान को भोग लगाने चाहिए।

ऐसे मनाते हैं रंगपंचमी
रंगपंचमी के दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है. ऐस माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि रंगपंचमी के  दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते हैं. ये भी कहा जाता है कि हवा में उड़ने वाली अबीर-गुलाल के संपर्क में जो व्यक्ति आ जाता है उसको हर पापों से छुटकारा मिल जाता है.

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