रामलला के वकील कहे जाने वाले के परासरण (K Parasharan) पहली बार अयोध्या (Ayodhya) में चल रहे राम मंदिर के भव्य निर्माण कार्य को देखने पहुंचे. मंदिर निर्माण में अब तक 42 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा किया जा चुका है. अपने दौरे के दौरान परासरण ने भगवान श्री राम लला का दर्शन पूजन भी किया.
Trending Photos
अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता के परासरण पहली बार भव्य राम मंदिर निर्माण को देखने पहुंचे. उन्होंने राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान भगवान श्री राम लला का दर्शन पूजन किया. साथ ही मंदिर की तर्ज पर अयोध्या के विकास के लिए नगर का भ्रमण भी किया. इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) से चंपत राय (Champat Rai), सदस्य अनिल मिश्रा के साथ अयोध्या के मंडलायुक्त नवदीप रिणवा, जिलाधिकारी नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. परासरण 9 नवंबर 2019 राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद 24 नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति लेकर अयोध्या पहुंचे थे. आज जब भगवान रामलला के मंदिर के फाउंडेशन निर्माण के बाद सुपर स्ट्रक्चर के लिए राजस्थान के पत्थर जोड़ने का कार्य शुरू हो गया है तो वह अयोध्या पहुंचे हैं. मंदिर निर्माण में अब तक 42 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा किया जा चुका है.
इसलिए कहते हैं लोग उन्हें रामलला का वकील
के परासरण ने राम मंदिर के लिए जो कानूनी लड़ाई लड़ी उसकी बदौलत राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक केशव परासरण इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के समय में उनके सलाहकार हुआ करते थे. वह हिंदू कानून के बड़े जानकार हैं. रामलला का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इन्हीं के माध्यम से लड़ा गया. उन्होंने कहा कि वयोवृद्ध केशव परासरण ने इस उम्र में भी रामलला के पक्ष में खड़े रहकर लगभग 2 घंटे तर्क दिए. इस दौरान वह पल भर के लिए भी नहीं बैठे. फैसले के वक्त आखिरी बहस के दौरान लगभग 16 से 17 घंटे तक बोलते रहे हैं. 6 महीने तक रामलला के फाइल के अलावा उन्होंने कोई दूसरी फाइल देखी तक नहीं. यही नहीं वह केवल रामलला का केस देखने कोर्ट में आते थे. सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट जब आया तो वह जजमेंट रामलला का था. चंपत राय के मुताबिक 26 नवंबर 2020 को रामलला के मुकदमे में फैसले की प्रति रामलला को समर्पित करने वह खुद आए थे. तत्कालीन कमिश्नर ने फैसले के प्रति को रामलला की तरफ से स्वीकार किया था. वह जजमेंट रिकॉर्ड रूम में रखा गया है. केशव परासरण श्री जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के फाउंडर ट्रस्टी भी हैं.