लखनऊ में इंडियन ओवरसीज बैंक की दीवार में सेंध लगाकर अंदर घुसे बदमाश लॉकर काटकर उसमें रखा सामान लेकर चंपत हो गए.
लखनऊ में इंडियन ओवरसीज बैंक में चोरी के मामले में एक बदमाश सोमवार को पुलिस मुठभेड़ में पकड़ा गया. हालांकि उसके दूसरे साथी मौके से फरार हो गए.
दरअसल ज्यादातर बैंक अपनी ब्रांच में लॉकर की सुविधा देते हैं. इसमें लोग गहने, जरूरी डॉक्यूमेंट्स रख सकते हैं. हालांकि ये हर शाखा में नहीं होते हैं. सुरक्षा के लिहाज से यह चुनिंदा ब्रांच में ही होता है.
लॉकर में गहने रखने के लिए लोगों को एक निश्चित किराया हर साल अदा करना होता है. लॉकर के साइज के हिसाब से इसका किराया होता है. साथ ही इसका ब्रांच कहां पर है. वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ग्राहक और बैंक के बीच लॉकर एग्रीमेंट होता है. जिस पर दोनों के साइन होते हैं.
अब जानते हैं कि लॉकर से चोरी होने पर लोगों को कितना पैसा मिलता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लॉकर एग्रीमेंट जारी करने के निर्देश के बाद बैंकों ने जारी किया था.
लॉकर में रखे समान की जवाबदेही बैंकों की होती है. इसलिए इसके नुकसान पर बैंक जिम्मेदारी होते हैं. उम्मीद की जाती है कि बैंक इसका ध्यान रखेंगे.
अगर लॉकर में आगजनी, चोरी-डकैती, सेंधमारी या इमारत ढहने जैसी घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की होती है.बैंक को मुआवजा देना पड़ता है.
लॉकर का किराया जितना होता है, बैंक उससे 100 गुना ज्यादा पैसा ग्राहक को अदा करते हैं. चाहें उसमें रखी चीजों की कीमत कम हो या ज्यादा.
हालांकि आंतकी हमले, प्राकृतिक आपदा, दंगे या विरोध-प्रदर्शन में लॉकर को क्षति होती है तो बैंक मुआवजा नहीं देता. लॉकर की चीजों का इंश्योरेंस भी नहीं होता है.
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