उत्तराखंड में पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना तेजी से आकार ले रही है.
यह रेल मार्ग चारधाम यात्रा को और सुगम बनाएगा. विशेष रूप से बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को इससे बड़ा लाभ मिलेगा.
ऋषिकेश के अलावा टनकपुर में भी राफ्टिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज को बढ़ावा दिया जा रहा है. बेहतर कनेक्टिविटी से उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों तक यात्रियों की आसान पहुंच होगी.
पहले यहां 22 ट्रैक बनाए जाने थे अब यह संख्या बढ़ाकर 26 कर दी गई है. इस कार्य के लिए 611 करोड़ रुपये की निविदा जारी की जा चुकी है.
इस परियोजना में कुल 13 रेलवे स्टेशन होंगे, जिनमें से दो (योगनगरी और वीरभद्र) का निर्माण पूरा हो चुका है. अन्य स्टेशनों का निर्माण जल्द शुरू होगा, जिससे स्थानीय लोगों को फायदा होगा.
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच इस लाइन पर 13 स्टेशन हैं. इनमें वीरभद्र और योगनगरी रेलवे स्टेशन का कार्य पूर्ण हो चुका है. योगनगरी रेलवे स्टेशन तक ट्रेनें चल रही हैं. इनके अलावा शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर व सिंवई (कर्णप्रयाग) में स्टेशन हैं
इस रेललाइन के 104 किमी. का हिस्सा 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगा. आधे से ज्यादा टनलों का कार्य पूरा हो चुका है और 19 पुलों में से 5 का निर्माण भी पूरा हो चुका है.
बेहतर रेल कनेक्टिविटी से उत्तराखंड के उद्योगों और व्यापार को रफ्तार मिलेगी. स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति आसान होगी और रोजगार के नए अवसर बनेंगे.
कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन को सामरिक दृष्टि से भी विकसित किया जा रहा है. सेना की लॉजिस्टिक्स और अन्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष बदलाव किए गए हैं.
रेलवे निर्माण कार्य में हजारों लोगों को रोजगार मिला है. नई रेल सेवा से स्थानीय लोगों को आवाजाही में सहूलियत मिलेगी और समय की बचत होगी.
सुरंग निर्माण के कारण कुछ घरों में दरारें आई थीं. कुल 628 शिकायतों का समाधान किया गया और प्रभावित परिवारों को 12 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया.
महत्वाकांक्षी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है. 2025 तक इसके पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है, जिससे उत्तराखंड की रेल कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.