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शनि दोष से छायी है कंगाली? इस दशहरा करें महादेव को प्रिय इस विशेष पेड़ की पूजा, होगी लक्ष्मी की कृपा

इस साल की विजयदशमी यानी दशहरा का बहुत महत्व है. क्योंकि इस साल दशहरा 12 अक्टूबर शनिवार के दिन है और इस दिन एक खास पेड़ की पूजा करने से ना केवल शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं बल्कि घर में लक्ष्मी जी का भी वास होता है. 

विजयादशमी का ज्योतिषीय महत्व

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विजयादशमी का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में विजयादशमी को बहुत ही शुभ माना गया है. इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय व्यक्ति को समृद्धि और सफलता दिला सकते हैं. विजयादशमी पर किए गए कार्यों का प्रभाव सकारात्मक होता है और लंबे समय तक रहता है. 

शमी के पेड़ की पूजा

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शमी के पेड़ की पूजा

विजयादशमी पर शमी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का अंत होता है. इसके साथ ही, यह पूजा मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में भी सहायक होती है.

शमी और शनि का संबंध

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शमी और शनि का संबंध

शमी का संबंध शनिदेव से है और यह भगवान शिव को भी बहुत प्रिय होता है. इसलिए शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनि ग्रह संबंधी दोष जैसे शनि की साढ़े साती, शनि की ढैय्या आदि समाप्त होते हैं. 

धन की बरकत के लिए उपाय

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धन की बरकत के लिए उपाय

दशहरा इस बार 12 अक्टूबर शनिवार के दिन है इसलिए सुबह जल्दी उठें और शमी के गमले की रेत में एक सुपारी और एक सिक्‍का गाढ़ दें. फिर हर रोज लगातार 7 दिन तक शमी के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं, ऐसा करने से आपके धन में बरकत होगी.

अर्जुन और शमी वृक्ष की पौराणिक कथा

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अर्जुन और शमी वृक्ष की पौराणिक कथा

द्वापर युग की एक पौराणिक कथा के अनुसार, अर्जुन ने महाभारत युद्ध से पहले शमी वृक्ष की पूजा की थी. उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष के पास रखकर तपस्या की और युद्ध में विजय प्राप्त की. इस कथा के आधार पर विजयादशमी पर शमी वृक्ष की पूजा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.

पांडवों का अज्ञातवास और शमी वृक्ष

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पांडवों का अज्ञातवास और शमी वृक्ष

महाभारत की एक अन्य कथा के अनुसार, जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था, तब उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष में छिपाकर रखे थे. इसके बाद उन्होंने महाभारत युद्ध में इन्हीं हथियारों का उपयोग कर विजय प्राप्त की थी. इससे शमी वृक्ष को विजय और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.

स्वर्ण वर्षा की कथा

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स्वर्ण वर्षा की कथा

विजयादशमी पर शमी वृक्ष की पूजा से धन-धान्य में वृद्धि होती है. इसका संदर्भ एक पौराणिक कथा से जुड़ा है जिसमें कौत्स नामक व्यक्ति ने अपने गुरु वर्तन्तु को 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं गुरु दक्षिणा के रूप में देने का संकल्प लिया. 

कौत्स और राजा रघु की कथा

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कौत्स और राजा रघु की कथा

कौत्स ने राजा रघु से मदद मांगी, लेकिन राजा रघु के पास उस समय पर्याप्त धन नहीं था. तब राजा रघु ने इंद्र देव पर स्वर्ग पर आक्रमण का विचार किया, जिससे भगवान इंद्र ने कुबेर को स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा का आदेश दिया.

शमी वृक्ष के माध्यम से स्वर्ण वर्षा

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शमी वृक्ष के माध्यम से स्वर्ण वर्षा

मान्यता है कि कुबेर ने शमी वृक्ष के माध्यम से स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा की थी, जिससे राजा रघु की धन संबंधी समस्या का समाधान हुआ. इस घटना का दिन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि था, जो विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है.

Disclaimer

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.