कहते हैं जिस पर शनि की कृपा होती है उसका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता और अगर किसी पर उनकी वक्र दृष्टि पड़ जाए तो फिर उसे कोई बचा नहीं सकता है. अगर आप पर शनि की ढैय्या चल रही या शनि की साढ़े साती है. या फिर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप यूपी के इन प्रसिद्ध शनि मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए आ सकते हैं.
मथुरा के पास कोसी कलां में स्थित कोकिलावन धाम, शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है. यह स्थान घने जंगलों के बीच स्थित है, और यहीं से मंदिर का नाम 'कोकिलावन' पड़ा. यह एक प्राचीन मंदिर है जो श्रद्धा का केंद्र है. यहां पूरे भारत से लोग पूजा करने आते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. श्री कृष्ण ने शनि देव को प्रसन्न होकर उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए. यही कारण है कि कोकिलावन में शनि देव का मंदिर सिद्ध स्थान माना जाता है.
श्री कृष्ण ने कोकिला वन में शनिदेव को दर्शन दिए थे और कहा था कि इस वन की परिक्रमा करने से भक्तों को शनि और श्री कृष्ण दोनों की कृपा प्राप्त होती है. यही कारण है कि कोकिलावन का शनि मंदिर सिद्ध मंदिर कहलाता है.
प्रतापगढ़ के कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मंदिर भी भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. यह बाल्कुनी नदी के किनारे बना है इसलिए इसे बकुलाही नाम से भी जाना जाता है.
प्रतापगढञ जिले के विश्वनाथ बाजार से करीब 2 किलोमीचर दूर इस मंदिर में भगवान शनि के दर्शन के लिए कई जिलों के लोग आते हैं. और इसे पौराणिक धाम की मान्यता प्राप्त है.
बरेली जिसे नाथ नगरी के नाम भी जाना जाता है यहां रोहिलाखंड विश्वविद्यालय के पास डोरा चौराहे पर बने शनिदेव मंदिर की भी बहुत मान्यता है. शनिवार के दिन यहां दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है.
बरेली के शनि मंदिर में मान्यता है कि अगर कोई भक्त यहां तेल, हल्दी और जल शनिदेव को अर्पित करता है तो उसके सारे दुख-दर्द और कष्टों का नाश हो जाता है.
बरेली के इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि अगर किसी जातक पर शनिदेव की कृदृष्टि चल रही है तो यहां शनिदेव के चरणों में विधि-विधान से अर्जी लगाने पर कुदृष्टि हट जाती है और रुके हुए काम भी बनने लगते हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है जो धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. जी यूपीयूके इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि नहीं करता.