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Mahashivratri 2025: महादेव का वो मंदिर, जहां पार्वती ने 3 हजार साल की तपस्या, महाशिवरात्रि पर जरूर करें इन पांच मंदिरों के दर्शन

26 फरवरी को महाशिवरात्रि है. ऐसे में सभी शिव मंदिरों में खास तैयारी की जा रही है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है, जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. जानिए

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Mahashivratri 2025: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि की तैयारी है. ऐसे में शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. वहीं, शिव-मंदिरों में खास इंतजाम किए गए हैं. यूपी और उत्तराखंड में कई प्राचीन मंदिर हैं. जिससे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व जुड़े हुए हैं.

यूपी-उत्तराखंड के प्राचीन मंदिर

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यूपी-उत्तराखंड के प्राचीन मंदिर

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़े कई प्राचीन स्थल है. जिससे कई धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व जुड़े हुए हैं. इन मंदिरों में महाशिवरात्रि पर खूब भीड़ जुटेंगे. आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

बिल्वेश्वर महादेव मंदिर

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बिल्वेश्वर महादेव मंदिर

हरिद्वार में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर मां पार्वती ने महादेव को पाने के लिए 3 हजार साल तक तपस्या की थी. ये कहानी हमारे प्राचीन काल से जुड़ी हुई है. इस जगह को बिल्ला पर्वत भी कहते हैं.

क्या है इसकी मान्यता?

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क्या है इसकी मान्यता?

कहा जाता है कि यहां उन्होंने बेलपत्र खाकर अपनी भूख को शांत किया, लेकिन जब जल की बात आई तो खुद ब्रह्मा जी ने कमंडल से गंगा की जलधारा प्रकट की. यहां एक गौरी कुंड भी मौजूद है. मां पार्वती इसी का जल पीकर अपनी प्यास को शांत करती थी.

त्रियुगीनारायण मंदिर

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त्रियुगीनारायण मंदिर

रुद्रप्रयाग के त्रियुगीनारायण मंदिर को शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि महादेव और मां पार्वती ने गुप्तकाशी के इस मंदिर में ही विवाह किया था. इस विवाह में भगवान विष्णु ने देवी पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी और ब्रह्मा जी ने पुजारी बनकर विवाह करवाया था.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का फेमस हिंदू मंदिर है. ये मंदिर शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु और ब्रह्मा का अहंकार चकनाचूर हुआ था, जिसके बाद भगवान शिव ने विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया था.

काशी के घाट

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काशी के घाट

वाराणसी में 88 घाट हैं. इन घाटों में मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा घाट, आदि केशव घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, ललिता घाट, और मीर घाट प्रमुख हैं. मणिकर्णिका घाट को लेकर मान्यता है कि मां पार्वती का कर्ण फूल यहां एक कुंड में गिर गया था, जिसे महादेव ने ढूंढा, जिसकी वजह से इसका नाम मणिकर्णिका पड़ गया.

शिवद्वार मंदिर घोरावल

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शिवद्वार मंदिर घोरावल

शिवद्वार विश्व का एकमात्र स्थान जहां महादेव की मूर्ति है, जिसे आधिकारिक तौर पर उमा महेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये सोनभद्र में घोरावल से 10 किमी दूर है. शिवद्वार मंदिर शिव और मां पार्वती को समर्पित है और 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.