Chhath Puja 2024: चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व में दूसरे दिन खरना किया जाता है. खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है . इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी मैय्या का प्रसाद तैयार करती हैं. खरना में गुड़ की खीर बनाने का रिवाज है. जानते हैं कि खरना के दिन क्या-क्या होता है.
छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. मुख्य रूप से छठ व्रत माएं अपनी संतान की लंबी उम्र और उनके सुखी जीवन की कामना से रखती हैं. वहीं ये व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी खास माना जाता है. छठ में पूरे 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है.
यह पर्व उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचल क्षेत्र से लेकर पूरी दुनियां में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाये जाने वाले इस छठ पर्व में भगवान सूर्य और छठी मैया की विधि-पूर्वक पूजा होती है. जिसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है और सप्तमी के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरी होती है.
छठ महाव्रत के दौरान नहाय खाय और खरना से लेकर सूर्य को अर्घ्य देने तक का विशेष महत्व है. जिसमें खरना आज मनाया जाएगा और गुरुवार शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है. छठ मइया की कृपा बनी रहती है.
खरना के दिन छठ महापर्व का व्रत करने वाले लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं. शाम को स्नान करने के बाद विधिवत छठी मैया की पूजा करते हैं. खरना की पूजा करने के बाद बखीर और गेहूं के आटे से बनी रोटी खाकर व्रत तोड़ते हैं. इसे भी महाप्रसाद में शामिल किया गया है. व्रती के खाने के बाद घर-परिवार के बाकी सदस्य खासकर घर के बच्चों को खिलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि ये व्रत संतान के लिए किया जाता है.
छठ पूजा का प्रसाद खरना के दिन नहीं बनता है. इसकी तैयारी पहले से ही कर ली जाती है.लेकिन छठ के पकवान और ठेकुआ आदि पहले अर्घ्य के दिन सुबह के समय में तैयार किया जाता है. इसे पकाने की जिम्मेदारी उनकी होती है जो व्रत रखते हैं. हालांकि प्रसाद को बनाने में घर के लोग मदद कर सकते हैं.
प्रसाद बनाने के लिए अनाज को पहले से ही साफ करके उसे धोकर सुखाया जाता है. फिर उसे पिसवाया जाता है. मिट्टी के नए चूल्हे में पीतल के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है. इसके साथ ही पूजा में चढ़ाए जाने वाली हर वस्तु अखंडित होनी चाहिए, चाहे वह फूल हो या फल. पूरा पर्व पवित्रता से जुड़ा हुआ है, ऐसे में साफ-सफाई का पूरे पर्व के दौरान खास तौर पर ख्याल रखा जाता है. यानी सब कुछ शुद्द होना चाहिए.
छठ पूजा में खरना के दिन ही तय हो जाता कि अगले तीन दिन व्रत करने वाले लोग कहां पर रात को विश्राम करेंगे यानी सोएंगे. रात को सोने के समय वो अपने स्थान पर पहुंच जाते हैं. ये स्थान पूजा घर भी हो सकता है. या फिर घर का कोई दूसरा कमरा. खरना के दौरान व्रत करने वाली महिलाएं बिस्तर पर नहीं सोती हैं. जमीन पर चटाई बिछाकर सोते हैं.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.