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36 घंटे का निर्जला व्रत...और कठोर नियम, जानिये क्यों है छठ पर्व की इतनी महिमा, क्या है पौराणिक कथा

Chhath Puja 2024: चार दिवसीय छठ महापर्व साल 2024 में 7 नवंबर को है. इस पर्व व्रत पूरी 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं. आइये जानते हैं इस पर्व की इतनी महिमा क्यों है और छठी मैया की पौराणिक कथा क्या है.

कब मनाते हैं छठ महापर्व

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कब मनाते हैं छठ महापर्व

छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसे हिंदू समाज में एक लोक आस्था का महापर्व माना जाता है, जो चार दिनों की कठोर तपस्या से भरा होता है. 

निर्जला व्रत की महिमा

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निर्जला व्रत की महिमा

व्रती 30 घंटे से अधिक समय तक बिना जल ग्रहण किए इस व्रत को निभाते हैं. छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा करते हुए, श्रद्धालु अगले दिन उदय होते सूर्य को अर्घ्य देकर इस कठिन तप को संपन्न करते हैं.

 

धार्मिक मान्यता और आस्था

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धार्मिक मान्यता और आस्था

मान्यता है कि पूरी शुद्धता और सच्चे मन से छठ व्रत का पालन करने वालों की सभी मनोकामनाएं छठी मैया पूरी करती हैं. यह पूजा व्रत परिवार की खुशहाली, संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाती है.

महाभारत से जुड़ा इतिहास

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महाभारत से जुड़ा इतिहास

महाभारत काल में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने छठ व्रत करने का निर्देश दिया था. यह कथा इस व्रत की प्राचीनता और धार्मिक महिमा को दर्शाती है. 

छठी मैया का पौराणिक महत्व

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छठी मैया का पौराणिक महत्व

छठी मैया को भगवान सूर्य की बहन और ब्रह्मदेव की मानस पुत्री माना गया है. उन्हें संतान प्राप्ति और प्रकृति की देवी का दर्जा दिया गया है, जो उनके दिव्य शक्ति और कृपा का प्रतीक है.

हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत

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हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत

छठ व्रत को हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना जाता है क्योंकि व्रती लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस कठिन साधना से, पुण्य, संतान, सुख-समृद्धि, और जीवन की सुरक्षा की प्राप्ति होती है. 

प्रकृति के छठे अंश से उत्पत्ति

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प्रकृति के छठे अंश से उत्पत्ति

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, छठी मैया प्रकृति के छठे अंश से प्रकट हुई हैं. उन्हें प्रकृति का मातृ स्वरूप कहा गया है, जो सृष्टि की रचना और जीवन की उत्पत्ति से संबंधित हैं.

महादेव की बहू

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महादेव की बहू

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया का विवाह महादेव के पुत्र कार्तिकेय से हुआ था. इस प्रकार उन्हें महादेव की बहू के रूप में भी पूजा जाता है, जो उनके स्थान को और भी पवित्र और महत्वपूर्ण बनाता है.

संतान की दीर्घायु और सुख-संपत्ति की कामना

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संतान की दीर्घायु और सुख-संपत्ति की कामना

छठ व्रत संतान की लंबी उम्र, परिवार की रक्षा, और सुख-समृद्धि के लिए एक अत्यंत फलदायी व्रत माना गया है.  मान्यता है कि इस व्रत को निभाने वाले श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए इस त्योहार को विशिष्ट महापर्व माना जाता है. 

Disclaimer

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.