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कौन हैं 31 घंटे के सीएम जगदंबिका पाल, BJP सांसद की वक्फ बोर्ड पर JPC रिपोर्ट से आया भूचाल, वकालत छोड़ राजनीति में आए

वक्‍फ (संशोधन) विधेयक 2024 की समीक्षा के लिए संयुक्‍त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन किया गया है. जेपीसी समिति के अध्‍यक्ष जगदंबिका पाल को बनाया गया है. जगदंबिका पाल की अध्‍यक्षयता में गठित जेपीसी समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्‍यक्ष को सौंप दी है.

कौन हैं जगदंबिका पाल?

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कौन हैं जगदंबिका पाल?

इन सबके के बीच जगदंबिका पाल सुर्खियों में हैं. यह पहली दफा नहीं है जब जगदंबिका पाल चर्चा में हैं. जगदंबिका पाल के नाम कई अनोखे रिकॉर्ड है. आइये जानते हैं कौन हैं जगदंबिका पाल?... 

कहां हुआ जन्‍म

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कहां हुआ जन्‍म

जगदंबिका पाल का जन्‍म 21 अक्‍टूबर 1950 को भरवलिया में हुआ है. उन्‍होंने एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है. इसके बाद वह राजनीत में आ गए. 

 

पत्‍नी और बच्‍चे

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पत्‍नी और बच्‍चे

डुमरियागंज से तीसरी बार सांसद चुने गए जगदंबिका पाल की पत्‍नी का नाम स्‍नेह लता पाल है. इनका एक बेटा और दो बेटियां हैं. जगदंबिका पाल यूपी सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. 

पहली बार सांसद बने

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पहली बार सांसद बने

इतना ही नहीं जगदंबिका पाल के नाम 31 घंटे तक मुख्‍यमंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है. पहली बार वह 2009 में सांसद बने थे. इसके बाद वह कांग्रेस से जुड़ गए. 

तीन बार सांसद चुने गए

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तीन बार सांसद चुने गए

2014 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद 2014, 2019 और 2024 में लगातार तीन बार सांसद चुने गए. 

 

अनोखा रिकॉर्ड दर्ज

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अनोखा रिकॉर्ड दर्ज

जगदंबिका पाल के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी दर्ज है. वह साल 1998 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन अगले ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. यूपी के एक दिन मुख्यमंत्री के रूप में उनका नाम इतिहास में दर्ज है. 

 

एनडी तिवारी की पार्टी से जुड़े

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एनडी तिवारी की पार्टी से जुड़े

जगदंबिका पाल ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. बाद में कांग्रेस से अलग होकर एनडी तिवारी की अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) में शामिल हो गए.थे. 

परिवहन मंत्री भी रहे

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परिवहन मंत्री भी रहे

इसके बाद साल 1997 में उन्होंने नरेश अग्रवाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ मिलकर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और कल्याण सिंह सरकार में परिवहन मंत्री बने.

कल्‍याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री

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कल्‍याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री

साल 1998 में बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लिया था. उस समय मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह थे. वहीं, जगदंबिका पाल, कल्‍याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. 

विधायक दल का नेता चुना

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विधायक दल का नेता चुना

मायावती ने कल्‍याण सिंह सरकार से समर्थन वापस लेते हुए जगदंबिका पाल को विधायक दल का नेता चुन, राज्‍यपाल के पास बहुमत होने का दावा पेश किया. 

 

कुर्सी छोड़नी पड़ी थी

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कुर्सी छोड़नी पड़ी थी

इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. हालांकि, वह 36 घंटे ही मुख्‍यमंत्री रह पाए थे कि उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. 

 

17वें मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली

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17वें मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली

21 फरवरी की रात 10 बजे जगदंबिका पाल को प्रदेश  के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. अगले ही दिन के 3 बजे हाईकोर्ट ने राज्य में कल्याण सिंह सरकार को बहाल करने के आदेश दे दिए. 

31 घंटे के सीएम

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31 घंटे के सीएम

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद जगदंबिका पाल को 31 घंटे के अंदर ही यूपी के मुख्‍यमंत्री के पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था. वह यूपी के एकमात्र ऐसे मुख्‍यमंत्री थे, जो 31 घंटे तक ही सीएम बने थे.