मान्यता है कि शिव पुराण के पाठ से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. यह ग्रंथ आध्यात्मिक ज्ञान का भंडार है. इसमें मोक्ष प्राप्ति, जीवन के उद्देश्य और कर्मफल के बारे में बताया गया है.
शिव पुराण एक पवित्र ग्रंथ है जो भगवान शिव के जीवन और उनकी लीलाओं से हमें जोड़ता है. सावन का महीना इस ग्रंथ का पाठ करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है.
शिव पुराण में भगवान शिव के जन्म, लीला, कथाओं और उनके विभिन्न रूपों का विस्तृत वर्णन मिलता है. शिव पुराण का पाठ करने से मन शांत होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है.
सावन का महीना शिव पुराण का पाठ करने के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है. सोमवार भगवान शिव को समर्पित दिन है. इस दिन शिव पुराण का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
शिव भक्तों को सावन की शिवरात्रि का पूरे साल इंतजार रहता है. जैसा कि नाम से इंगित है यह दिन भगवान शिव का दिन होता है. शिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से भगवान शिव जरूर प्रसन्न होते हैं.
शिव पुराण का पाठ शांत और एकांत वातावरण में करना चाहिए और पाठ करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए और अगर संभव हो तो शिव पुराण का पाठ किसी विद्वान के मार्गदर्शन में करना चाहिए.
नियमित रूप से शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होता है और उसे जीवन के उद्देश्य का ज्ञान प्राप्त होता है. शिव पुराण का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन की कठिनाओं से हतोत्साहित नहीं होता.
शिव पुराण में 7 सहिंताएं और 24 हजार श्लोक हैं. शिव पुराण परमब्रह्म परमात्मा के समान गति प्रदान करने वाला है. जो व्यक्ति प्रतिदिन शिव पुराण का पाठ प्रेम भाव से करता है, वह निश्चित ही परम पुण्यात्मा है.
शिव पुराण के अनुसार शिव भक्ति करने वाला व्यक्ति मृत्युलोक में श्रेष्ठतम स्थिति प्राप्त करता है. शिव पुराण को श्रद्धापूर्वक सुनने से न केवल सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि जीवन के अंत में शिवलोक प्राप्त होता है.
लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. ये जानकारी विभिन्न स्रोतों से ली गई है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकत और सटीकता की पुष्टि नहीं करता है. ज्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें.