चंबल एक्सप्रेसवे का निर्माण यूपी के इटावा से राजस्थान के कोटा तक होगा, जो करीब 408 किलोमीटर लंबा होगा. हालांकि चंबल एक्सप्रेसवे का सबसे बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में होगा.
चंबल एक्सप्रेसवे का यूपी में 47 किलोमीटर का हिस्सा पड़ेगा, जबकि मध्य प्रदेश में इसका 306 किलोमीटर लंबा हिस्सा पड़ रहा है. कुल मिलाकर इस एक्सप्रेसवे से यूपी, राजस्थान से सीधे जुड़ जाएगा.
शुरुआत में चार लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे होगा, बाद में इसे 6 लेन का किया जा सकता है. इसे बनाने में करीब 9 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी.
चंबल एक्सप्रेसवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से वाहन फर्राटा भर सकेंगे. चंबल एक्सप्रेसवे पर 18 पुल बनाए जाएंगे. इस एक्सप्रेसवे को चंबल नदी के किनारे बनाया जाएगा, इसलिए इसका नाम चंबल एक्सप्रेसवे है.
चंबल एक्सप्रेसवे मध्य प्रदेश से होते हुए चंबल के बीहड़ों को क्रॉस करते हुए इटावा में खत्म होगा. इटावा से यह क्रॉस करते हुए राजस्थान में प्रवेश कर जाएगा. कोटा में जाकर चंबल एक्सप्रेसवे खत्म हो जाएगा.
चंबल एक्सप्रेसवे यानि कि अटल प्रोगेसवे राजस्थान के कोटा जिले के पास सीमल्या गांव में एनएच-27 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ननावा गांव से जोड़ेगा.
यह इटावा के पास चालू आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से शुरू होगा और भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी से होते हुए चंबल नदी के समानांतर चलेगा.
चंबल एक्सप्रेसवे बनने के बाद इन राज्यों के बीच का सफर मात्र 6 से 7 घंटे का हो जाएगा. अभी 10 से 11 घंटे का सफर करना पड़ता है. इसकी दूरी भी घटकर 408 किलोमीटर रह जाएगी, जो अभी 490 किमी है.
चंबल एक्सप्रेसवे देश के दो बड़े एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा. उत्तर प्रदेश से लेकर मुंबई और दिल्ली तक की यात्रा आसान हो जाएगी. 88 किलोमीटर लंबे आगरा-ग्वालियर एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए ग्वालियर के पास एक इंटरचेंज का निर्माण किया जाएगा.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए कोटा के पास एक इंटरचेंज का निर्माण किया जाएगा. एक्सप्रेसवे न केवल कोटा से इटावा तक सीधा मार्ग बनाएगा, बल्कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से पश्चिमी भारत तक सीधा मार्ग भी बनाएगा.
चंबल एक्सप्रेसवे इटावा में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और कोटा में आने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (डीएमई) से जुड़ जाएगा.
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