RO ARO Exam Controversy: यूपी की चार बड़ी परीक्षाओं में पैदा हुआ विवाद अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेरता रहा है. यूपी पुलिस भर्ती से RO ARO एग्जाम तक घमासान ही घमासान हुआ है.
परीक्षा से जुड़े विवादित मामला को लेकर प्रदर्शन भी होता है और विवाद कोर्ट तक भी चला जाता है लेकिन इन सब में वो अभ्यर्थी पिस जाते हैं जो नौकरी पाने के लिए रात दिन एक कर देते हैं. आइए उन चार परीक्षाओं पर गौर करते हैं जो विवादों से घिरा रहा.
ताजा मामला UPPSC ने हाल ही में RO/ARO और PCS परीक्षा को दो दिन में कराए जाने का है. PCS की परीक्षा का प्रीलिम्स 7-8 दिसम्बर, 2024 को आयोजित होगी और परीक्षा दो पाली में होगी. वहीं, RO/ARO परीक्षा को 22-23 दिसम्बर, 2024 को आयोजित की जाएगी. इसे तीन पालियों में आयोजित की जाएंगी. परीक्षाओं के इस कार्यक्रम को लेकर ही विवाद खड़ा हो गया है जिसके विरोध में छात्र प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि परीक्षा को एक दिन में एक ही पाली में संपन्न करवाया जाए न की दो दिन खींचा जाए.
अभ्यर्थी एक दिन में परीक्षा करवाने की मांग सरलीकरण (नॉर्मलाइजेशन) के कारण कर रहे हैं. इस परीक्षा में इस बार सरलीकरण का नियम आयोग द्वारा लागू किया गया. इसे लागू इसलिए किया गया क्योंकि परीक्षा दो दिन में होनी है. अभ्यर्थियों का मानना है कि सरलीकरण में गड़बड़ी होने की आशंका है. ऐसे मामले कोर्ट में जाते हैं ऐसे में परीक्षा एक ही दिन में करवाए जाएं. अभ्यर्थियों का कहना है कि एक दिन में परीक्षा कराई गई तो सरलीकरण नहीं करना होगा. बिना सरलीकरण का नोटिस लिए बिना प्रयागराज से वो लोग नहीं हिलेंगे.
आरओ एआरओ पेपर लीक मामला इसी साल सामने आया और खूब तूल पकड़ता रहा. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने यह परीक्षा बीते 11 फरवरी को आयोजित की थी. परीक्षा के बाद से ही इस पर धांधली के आरोप लगे थे.
नाराज अभ्यर्थी विरोध प्रदर्शन पर उतरे थे और योगी सरकार ने परीक्षा से जुड़ी शिकायतों की जांच का लगे हाथ फैसला भी सुना दिया था. इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया गया था. 27 फरवरी तक इस परीक्षा में सरकार ने हुई धांधली के सबूत तक मांगे थे.
यूपी पुलिस सिपाही की कुल 60,244 रिक्तियों को भरने के लिए पेपर इस साल फरवरी में 17 और 18 फरवरी को दो-दो शिफ्ट कराई गई. अभ्यर्थियों ने दावा किया था कि 17 फरवरी को दूसरी शिफ्ट का पेपर सोशल मीडिया पर पहले ही वायरल हो गया था. वैसे यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने पेपर लीक की खबरों को फर्जी करार दिया था लेकिन आगे इसे लेकर जांच होती रही है.
हालांकि पेपर लीक होने के आरोपों के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने परीक्षा को रद्द किया और छह महीने के अंदर परीक्षा कराने की बात कही थी. सीएम ने कहा था कि धांधली मुक्त परीक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता है. युवाओं की मेहनत के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी तरह नहीं बख़्शे जाएंगे. सीएम ने कहा था कि ऐसे अराजक तत्वों के ख़िलाफ़ कठोरतम कार्रवाई होनी तय है."
69,000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन 5 दिसम्बर 2018 को निकाला गया. 4.71 लाख कुल आवेदन आए और 5 जनवरी 2019 को परीक्षा का आयोजन किया गया. जिसमें 4.10 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे. 6 जनवरी को निर्देशानुसार तय किया गया कि आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम 60% व अनारक्षित वर्ग में न्यूनतम 65% अंक लाना अनिवार्य है. 1 जून 2020 को रिजल्ट जारी (कट ऑफ लिस्ट) आया है.
कट ऑफ लिस्ट जारी होने के बाद ही विवाद पैदा हुआ. कुल 1.47 लाख अभ्यर्थियों की कट ऑफ निकली जोकि न्यूनतम अंक के मानक को पूरा करते थे, इसमें ही आरक्षित वर्ग के 1.10 लाख अभ्यर्थी भी थे. कुल 67, 867 चयनितों की सूचि में ओबीसी का मेरिट कट ऑफ 66.73% व एससी का 61.01% रहा. वहीं सामान्य का 67.11% था. लिस्ट को लेकर संदेह किया जाने लगा. आरक्षण नियमों का पालन नही किए जाने का आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया. उन्होंने पूरी लिस्ट खंगाली जिसमें पाया गया कि इसमें बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के साथ ही आरक्षण नियमावली 1994 का पालन नहीं हुआ. यही विवाद बढ़ता चला गया.