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Mahakumbh Special: इलाहबास, अल्लाहबास से इलाहाबाद बनने का इतिहास, क्यों कुंभ आकर धर्मपरिवर्तन को भी तैयार हो गया था अकबर?

धर्म परिवर्तन की घटनाएं इन दिनों चर्चाओं में है. दावा किया जा रहा है कि मुगल बादशाह अकबर के भी ईसाई बनाने की कोशिश की गई. यह घटना करीब 1576 की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अर्ध कुंभ का साल था.

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Mahakumbh Special: इन दिनों धर्म परिवर्तन की घटनाएं खूब सुर्खियों में है. मुगल बादशाह अकबर के भी ईसाई बनाने की कोशिश का गवाह रहा है. संभवत: 1576 की यह घटना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अर्ध कुंभ का साल था.

अलीकुली खां की बगावत

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अलीकुली खां की बगावत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1575 में अकबर दूसरी बार तब के इलाहाबाद आया और यहां लंबे समय तक रहा था. उसी समय उसने अपना मशहूर किला बनवाना शुरू किया. पहली बार वह नगर के पास कड़ा के सरदार अलीकुली खां की बगावत को कुचलने पहुंचा था. 

संगम में स्नान

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संगम में स्नान

जब उसने यहां रहने का मन बनाया, तब तक उसने इस धर्म क्षेत्र के बारे में बहुत सी जानकारी इकट्ठा कर ली थी. संगम में स्नान के साथ इस क्षेत्र में होने वाली धर्म चर्चाओं ने उस पर भी असर डाला. धर्म का ही प्रभाव था कि उसने शहर का नाम 'इलाहाबास' यानी 'ईश्वर की जगह' रखा.

इबादतखाना

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इबादतखाना

यह बाद में बदलकर इलाहाबाद हुआ. ऐसी जगह पर किले में उसने एक इबादतखाना भी बनवाया और वहीं अकबर को ईसाई बनाने की कोशिश हुई थी. प्रयाग का कुंभ क्षेत्र तो डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी लिखित पुस्तक 'कुंभ: ऐतिहासिक वांग्मय' में यह तथ्य शामिल किया गया है.

पास्टर मोंसेरेंट

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पास्टर मोंसेरेंट

पास्टर मोंसेरेंट ने पुर्तगाल सरकार को जानकारी दी और बताया कि इस समय अकबर प्रयाग में है. बाद में मोंसेरेंट के अकबर के दरबार में भी हाजिर होने के प्रमाण मिलते हैं. बहरहाल, पुर्तगाल का प्रसिद्ध पास्टर मिशनरी वेदेत्ति भारत पहुंचा.

अकबर का किला

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अकबर का किला

कुंभ क्षेत्र के साथ अकबर के किले में इबादखाने में भी धर्म चर्चा चल रही थी. उसी समय अकबर से संपर्क कर उसे मिशन के बारे में जानकारी देकर प्रभाव में लेने की कोशिश हुई. बादशाह ने भांप लिया कि यह धर्म परिवर्तन की कोशिश है.

धर्म के नाम पर झगड़ा

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धर्म के नाम पर झगड़ा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकबर को लगा कि धार्मिक चर्चा के लिए बनवाये इबादतखाने में धर्म के नाम पर झगड़े हो रहे हैं. उसने यह कहते हुए इबादतखाना बंद करवा दिया कि धर्म चर्चा तो कुंभ में ही संभव है.

पौराणिक नाम

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पौराणिक नाम

संगम नगरी का पौराणिक नाम प्रयाग है, जिसे तीर्थों का राजा. इसे तीर्थराज प्रयाग भी कहते हैं. यहां हर 6 सालों में अर्द्धकुंभ और हर बारह सालों में कुंभ मेले का आयोजन होता है. जिसमें दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं.

कैसे बदला नाम?

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कैसे बदला नाम?

1500 में मुस्लिम राजा ने इस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर इलाहाबाद किया था. जिसे 2018 में तत्कालीन सीएम योगी आदित्यनाथ ने वापस उसका नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया. शहर का प्राचीन नाम 'प्रयाग' या 'प्रयागराज' है.

सबसे पहला यज्ञ

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सबसे पहला यज्ञ

मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद सबसे प्रथम यज्ञ यहां किया था. इसी प्रथम यज्ञ के 'प्र' और 'याग' अर्थात यज्ञ को जोड़कर प्रयाग नाम बना. ऋग्वेद और कुछ पुराणों में भी इस जगह का जिक्र 'प्रयाग' के रूप में किया गया है.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.