Mahakumbh 2025: बसंत पंचमी पर अंतिम अमृत स्नान के बाद अखाड़ों के प्रस्थान की तैयारी शुरू हो गई है. जहां एक अखाड़े की धर्मध्वजा भी उतर गई है, वहीं, कुछ की भूमिका बनने लगी है और प्रस्थान का शुभ मुहूर्त देखा जा रहा है.
शैव अखाड़े के धर्मगुरु महाशिवरात्रि तक बाबा विश्वनाथ की नगरी में डेरा जमाने वाले हैं तो कुछ वहीं महादेव के साथ होली मनाने की तैयारी में हैं. वैष्णव मतावलंबी अखाड़े अयोध्या जाएंगे और रामलला के चरणों में शीश नवाएंगे.
उदासी और निर्मल अखाड़ों को भगवान विष्णु के धाम हरिद्वार जाना है और महाकुंभ में प्रवास से मिले पुण्य को जन-जन तक पहुंचाना है. पंचनाम आवाहन अखाड़े में प्रस्थान की पूरी तैयारी है, लेकिन काशी प्रवास के लिए मुहूर्त पर मंथन हो रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुहूर्त निकलते ही विधि-विधान से धर्मध्वजा उतारी जाएगी और जयकारे के साथ काशी विश्वनाथ दरबार के लिए धर्मयात्रा आगे बढ़ेगी. अधिकतम दो से तीन दिन में उनका पूरा अखाड़ा काशी पहुंच जाएगा.
पंचायती निरंजनी अखाड़े ने काशी जाने की योजना बनाई है. महाकुंभ के बाद सभी सात शैव अखाड़े काशी में इकट्ठा होंगे और सनातन के विकास की आगे की योजना बनाएंगे. 15 फरवरी को उनका अखाड़ा अपने मूल स्थान हरिद्वार चला जाएगा.
वैष्णव परंपरा के निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास अयोध्या जाने की योजना बता रहे हैं. इसी परंपरा के निर्वाणी अनी और दिगंबर अनी अखाड़ों के प्रस्थान की भी कुछ ऐसी ही योजना है. नए उदासीन अखाड़े और बड़े उदासीन अखाड़े की धर्मध्वजा उतरने की तारीख तय हो गई है.
पांच फरवरी को नए अखाड़े और सात फरवरी को बड़े अखाड़े की धर्मध्वजा उतारी जाएगी. बड़े उदासीन के धर्मगुरु प्रयागराज के कीडगंज में कुछ दिन तक डेरा जमाएंगे. उसके बाद अपने मूल स्थान हरिद्वार के लिए रवाना हो जाएंगे.
पंचायती अखाड़ा निर्मल ने वसंत पंचमी के अमृत स्नान के अगले दिन मंगलवार को महाकुंभ नगर में स्थापित अपनी धर्मध्वजा उतार दी. इस अनुष्ठान से पहले कढ़ी-पकौड़ी का परंपरागत प्रसाद सभी संतों ने ग्रहण किया. अखाड़े के कुछ संत अभी प्रयागराज में ही निवास करेंगे और एक सप्ताह बाद हरिद्वार आएंगे.