Aligarh Muslim University History: एएमयू का इतिहास करीब 150 साल पुराना है. मुस्लिमों के लिए यह शिक्षा का बड़ा केंद्र है, लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली चांसलर एक महिला थी.
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Aligarh Muslim University News in Hindi: सर सैय्यद अहमद खां की जिंदगी पर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का गहरा असर बड़ा था. मुस्लिम समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिणिक पिछड़ेपन की टीस उनके भीतर दबी हुई थी, यही वजह है कि उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के मुसलमानों के प्रति नजरिये को बदलने का बीड़ा उठाया. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद ने ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी का दौरा किया और आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए 1877 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की, जो आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तब्दील हुआ.
एएमयू को अक्सर कट्टरपंथियों की जमात बताकर इजरायल-फलस्तीन जैसे मुद्दों पर उसके रुख को लेकर घेरा जाता है, लेकिन कम ही लोगों को मालूम है कि इस यूनिवर्सिटी की पहली वाइस चांसलर एक महिला सुल्तान जहां थी.
भोपाल की नवाब बेगम
सुल्तान जहां को भोपाल की बेगम (Nawab Begum) के तौर पर भी जाना जाता था, वो 1901 से 1926 तक भोपाल की नवाब बेगम रहीं और 1920 से मृत्यु तक एएमयू की कमान उन्होंने संभाली. सरकार अम्मा के तौर पर मशहूर सुल्तान जहां नवाब बेगम सुल्तान शाहजहां की इकलौती जीवित संतान थी, लिहाजा उन्होंने ने ही रियासत (Dar-ul-Iqbal-i-Bhopal) की बागडोर संभाली.
सुधारवादी कदम उठाए
आधुनिक सोच वाली सुल्तान जहां ने मुस्लिमों, महिलाओं के साथ सबको शिक्षा के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए. भोपाल में कई शैक्षणिक संस्थानों की नींव रखीं. ये उनकी दूरदर्शिता थी कि उन्होंने 1918 में ही प्राइमरी क्लास तक निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को अनिवार्य बनाया. कट्टरपंथी सोच से अलग नवाब बेगम ने टैक्स, सेना, पुलिस जैसे बड़े सुधार किए. 1914 में वो ऑल इंडिया मुस्लिम लेडीज एसोसिएशन की अध्यक्ष चुनी गईं. वो नेशनल काउंसिल ऑफ वुमेन इन इंडिया की संरक्षक भी थीं. 25 साल हुकूमत करने के बाद सुल्तान जहां ने अपने बेटे हमीदुल्लाह खान के लिए गद्दी छोड़ दी.