राजस्थान से कैसे गंगाजल पहुंचा था लंदन ?

Zee Rajasthan Web Team
Jan 29, 2025

पुराने जमाने में समुद्र को पार करना सनातन धर्म में निषेध था, ऐसे में लंदन तक जाना संभव नहीं था.

महारानी विक्टोरिया के मौत के बाद एडवर्ड सप्तम का राजतिलक था, जिसके लिए सवाई माधोसिंह द्वितीय को न्योता आया.

करीब दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद चांदी के दो बड़े कलश तैयार कराये गए.

जिसके लिए करीब 14 हजार चांदी के सिक्कों को गलाया गया था.

इन दो कलशों के अंदर 8 हजार लीटर गंगाजल भर कर लंदन गये थे. महाराज लंदन में दो महीने तक रहें थे

उनके साथ 25 पुजारी, 132 सेवक भी एक ओलंपिया नाम के जहाज में गए थे.

जहाज में 6 आलीशान कमरों के साथ ही महाराजा के ईष्ट भगवान की भी स्थापित किया गया था.

यात्रा के लिए बने दोनों चांदी के कलश आज भी सिटी पैलेस में रखे है, जिसमें गंगाजल आज भी है.

सवाईमाधोसिंह द्वितीय गंगा माता के भक्त थे और हर साल एक महीने के लिए हरिद्वार जाते थे.

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