Sikar News: गरीबों के सपनों को पंख दे रहे शैतान सिंह कविया, संवार रहे कच्ची बस्ती के लोगों का भविष्य
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Sikar News: गरीबों के सपनों को पंख दे रहे शैतान सिंह कविया, संवार रहे कच्ची बस्ती के लोगों का भविष्य

Sikar News: सीकर के शैतान सिंह कविया ने सेवानिवृत्ति के बाद कच्ची बस्तियों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा और महिलाओं को रोजगार प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया. अपनी पेंशन से स्कूल और सिलाई केंद्र चलाते हुए, उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया. उनकी इस पहल की सराहना प्रधानमंत्री मोदी ने भी की.

Shaitan Singh Kaviya

Rajasthan News: सीकर के शास्त्री नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी शैतान सिंह कविया ने यह साबित कर दिया है कि सेवा का जज्बा कभी खत्म नहीं होता. 2014 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने समाजसेवा को अपनी प्राथमिकता बनाया और कच्ची बस्तियों के गरीब और असहाय लोगों की जिंदगी संवारने का बीड़ा उठाया.

शैतान सिंह कविया पिछले कई वर्षों से कच्ची बस्ती और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. अपनी सरकारी पेंशन की पूरी राशि इन बच्चों की शिक्षा और रोजगार के प्रशिक्षण में खर्च करते हुए उन्होंने कच्ची बस्ती में एक स्कूल शुरू किया. शुरुआत में इस स्कूल में 40-45 बच्चे पढ़ाई करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर सैकड़ों तक पहुंच गई. इस स्कूल में बच्चों को न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें रोजगार के योग्य बनाने के लिए विभिन्न कौशल भी सिखाए जाते हैं.

शिक्षा के साथ ही कविया ने कच्ची बस्ती के गरीब और असहाय लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का भी काम किया. उन्होंने कई लोगों के सरकारी कागजात बनवाने में मदद की और विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, पालनहार योजना, खाद्य सुरक्षा योजना जैसी योजनाओं का लाभ इन जरूरतमंदों तक पहुंचाया. उनके इस उल्लेखनीय कार्य की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी की.

शैतान सिंह कविया की पहल का असर कच्ची बस्ती की महिलाओं पर भी हुआ है. उन्होंने भामाशाहों के सहयोग से सिलाई और ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया, जहां गरीब तबके की महिलाएं रोजगार के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं. इन केंद्रों से प्रशिक्षित कई महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा का एक और खास पहलू गणतंत्र दिवस समारोह में देखने को मिला, जब उनकी प्रेरणा से प्रशिक्षित चार बेटियां– इलायची, आसु, प्रियंका और मनीषा– दिल्ली में वीआईपी गैलरी में गणतंत्र दिवस परेड की मेहमान बनीं. ये बेटियां झुग्गी-झोपड़ी से निकलकर आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गई हैं.

शैतान सिंह कविया का कहना है कि शिक्षा जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद का समय समाज के वंचित वर्गों को शिक्षित और सशक्त बनाने में समर्पित कर दिया. उनकी यह पहल न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि समाज की भलाई के लिए एक व्यक्ति कितना बड़ा बदलाव ला सकता है.

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Reported By- संजय प्रकाश

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