तकनीक के दौर में भले ही आज चांद पर पहुंचना आसान हो गया है, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी कई गांव ऐसे है जहां आवागमन करना किसी चुनौती से कम नहीं है.
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Sangod: तकनीक के दौर में भले ही आज चांद पर पहुंचना आसान हो गया है, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी कई गांव ऐसे है जहां आवागमन करना किसी चुनौती से कम नहीं है. खासकर बारिश के दिनों में गांवों के रास्तों पर कीचड़ व पानी भराव से इन रास्तों पर आवागमन भी बंद हो जाता है.
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क्षेत्र के कई गांवों में पक्की सड़कें नहीं होने से ग्रामीणों को पगडंडीनुमा कच्चे रास्तों पर आवागमन करना पड़ रहा है. बारिश में इन रास्तों पर इतना कीचड़ हो जाता है कि वाहन चलाना तो दूर पैदल चलने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहे मंडाप पंचायत के झोपड़िया गांव के लोग.
करीब पांच सौ की आबादी का यह गांव आज तक सड़क सुविधा से वंचित है. गांव तक पहुंचने के लिए देगनियां गांव से झोपड़िया तक के तीन किलोमीटर के इस पूरे रास्ते पर ग्रामीणों को कई फीट कीचड़ के बीच होकर आवागमन करना पड़त है. कई बार ग्रामीणों ने समस्या से जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहा. जिससे ग्रामीणों में काफी गुस्सा है.
गांव में रहले वाले ग्रामीण दीपक नाहड़ा, सतवीर पारेता, छीतर लाल मीणा अन्य ने बताया कि, कच्चे रास्ते की हालत ऐसी है कि चौपहिया वाहन के पहिए भी कीचड़ में धंस जाते है. दुपहिया वाहन तो इस रास्ते पर चल ही नहीं पाते. पैदल चलने में भी फिसलकर गिरने का डर रहता है. किसान भी बारिश होने के पहले ही खेतों में बुवाई करना मुनासिब मानते है. बारिश होने के बाद इस रास्ते पर ट्रैक्टर और अन्य संसाधन तक खेतों में नहीं पहुंच पाते. मजबूरन ग्रामीणों को अन्य गांवों के रास्ते होते हुए कई किलोमीटर लंबा चक्कर काटकर गांव तक पहुंचना पड़ता है.
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