Sir Pratap Jodhpur : सर प्रताप बापजी जिनकी मूर्ति पर पिछले 28 सालों से पूजा अर्चना हो रही है. हर रोज यहां प्रतिमा के दर्शन करने लोग आते हैं और दीया अगरबत्ती के साथ साथ सिगरेट भी चढ़ाते हैं.
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Sir Pratap Jodhpur : यूं तो आपने कई मंदिरों के बाारे में सुना या देखा होगा, लेकिन क्या आपको मारवाड़ के उस मंदिर के बारे में पता है जहां सिगरेट चढ़ाई जाती है. जहां मंत्री से लेकर संत्री, वकील और पुलिस तक सिर नवाते है. यह मंदिर किसी भगवन या किसी देवी देवता का नहीं बल्कि मारवाड़ के उस महाराज की है जो कभी राजगद्दी पर नहीं बैठे. कहा जाता है कि वो आज भी हर रोज रात को 12 बजे सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर जोधपुर के परकोटे का जायजा लेते हैं. यह मंदिर सर प्रताप बापजी का है.
जोधपुर के जुबली कोर्ट के पाद स्थापित सिर प्रताप की मूर्ति पर पिछले 28 सालों से पूजा अर्चना हो रही है. हर रोज यहां प्रतिमा के दर्शन करने लोग आते हैं और दीया अगरबत्ती के साथ साथ सिगरेट भी चढ़ाते हैं. साथ ही प्रसाद में शराब, अफीम, सिगरेट चढ़ती है. कोर्ट में आने वाले लोग केस जीतने की यहां अर्जी भी लगाते हैं. पिछले 28 सालों से पुजारी संपत शर्मा यहां हर रोज पूजा अर्चना करते आ रहे हैं.
इसके पीछे है दिलचस्प कहानी
दरअसल इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. संपत शर्मा बताते हैं कि 1994 में उन्होंने किसी से 500 रूपये मांगे थे. उस व्यक्ति ने उसे सर प्रताप की मूर्ति के पास बुलाया था, लेकिन सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर तक वो वहां उस व्यक्ति का इंतज़ार करते रहे. लेकिन वो नहीं आया. संपत शर्मा को पैसे की बहुत जरुरत थी. उसने वहां स्थित सर प्रताप की मूर्ति से दरख्वास्त करते हुए पूजा अर्चना की. जिसके बाद उन्हें एक आवाज सुनाई दी. जिसमें कहा गया कि गेट के पास जाओ. जब सम्पत गेट के पास पहुंचे तो वहां 500 रूपये पड़े हुए थे.
इस घटना के बाद से सम्पत शर्मा हर रोज सर प्रताप की पूजा कर रहे हैं. यहां हर रोज सैकड़ों लोग पूजा अर्चना करने आते हैं. सर प्रताप पर एक आरती भी लिखी गई है. रजिस्ट्रार सिद्धार्थ चारण ने यह आरती लिखी है. कोर्ट परिसर में आने वाले लोग भी सर प्रताप के यहां सिर नवाते हैं और केस जीतने की अर्जी लगाते हैं.
कभी राज गद्दी पर नहीं बैठे
पुजारी संपत के अनुसार राजघराने से जुड़े होने के चलते सर प्रताप सिंह को एक सिगरेट चढ़ाई गई थी। लिहाजा ऐसे में पिछले 22 सालों से उन्हें सिगरेट चढ़ाने की परंपरा बन गई. प्रताप जोधपुर के महाराजा तख्त सिंह के तीसरे पुत्र हैं. तख्त सिंह के निधन के बाद उनके पहले पुत्र जसवंत सिंह ने राज सिंघासन संभाला. लेकिन वो उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री फैजुल्लाह के कामकाज से खुश नहीं थे, लिहाजा ऐसे में उन्होंने प्रताप को 1878 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया.
जोधपुरी कोर्ट भी की इजात
अपने कार्यकाल के दौरान प्रताप ने कई विकास कार्य करवाएं, लेकिन वो कभी भी राज गद्दी पर नहीं बैठे. हालांकि वो मारवाड़ के चार राजाओं के संरक्षक रहे. जब भी उनके जीवन में राजा बनने के मौके आए तो उन्होंने राज गद्दी भाई, भतीजे या पौत्र को सौंप दी. विश्व प्रसिद्ध जोधपुरी कोट की ईजाद भी सर प्रताप ने ही की थी. साथ ही जोधपुर की जुबली कोर्ट का निर्माण भी उन्होंने ही करवाया था.
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