Jaipur: कुछ लोगों को राजनीति में सफलता आसानी से मिल जाती है, तो कुछ लोग कड़ी मेहनत के बावजूद भी सफल नहीं हो पाते. ऐसा क्यों होता है ? दरअसल इसका जवाब हमारे वैदिक ज्योतिष में छिपा है. ऐसे कौन से योग हैं, जो व्यक्ति को सत्ता सुख दिला देते हैं और राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम कमा लेते हैं. समाज में अपना रुतबा बनाने में कामयाब हो जाते हैं. दूसरी तरफ कुछ लोग अपना समय भी देते हैं पैसे भी लगाते हैं लेकिन जब बात सत्ता की सीढ़ी की आती है तो ऐसे लोग एक दो पायदान भी नहीं चढ़ पाते हैं.
कुंडली में 12 घर होते हैं और नौ ग्रह उनमे विराजमान होते हैं. एक तरफ जहां सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है तो मंगल को सेनानी. बृहस्पति को मंत्री और सलाहकार माना गया है, चन्द्रमा को राजमाता का दर्जा प्राप्त है.
राहु को राजनीति का कारक, शनि को सेवा और जनता का कारक माना गया है. बुध ग्रह व्यक्ति को अच्छा वक्ता बनाता है. जितने ग्रहों का सम्बन्ध लग्नेश चतुर्थेश दशमेश से होगा, सफलता उतनी ही बढ़ जाती हैं.
कुंडली के पहले भाव या घर को लग्न भाव कहा जाता है. मजबूत लग्न भाव भी राजनीति के क्षेत्र में सफलता दिला देता है. मेष और कर्क लग्न में सूर्य शनि, राहु, मंगल की स्थिति अच्छी हो तो सफलता मिलती है. भारतीय राजनीति पर गौर करें तो कर्क लग्न के व्यक्ति ज्यादा सफल होते दिखाई देते हैं. चाहे वो प्रधानमंत्री रहे हों या कोई और बड़े नेता.
राजनीति में पहले, चौथे, दसवें और ग्यारहवें घर की भूमिका ज्यादा होती है. पहला घर खुद का व्यक्तित्व होता है तो चतुर्थ भाव जनता का होता है. दसवां घर राज्य का और ग्यारहवां घर लाभ का और सामाजिक विस्तार का घर है.
राजनीति मे सफलता के लिए कुछ विशेष योग जरूर होते हैं. जैसे लग्नेश, चतुर्थेश, दशमेश का केंद्र या त्रिकोण में होना. छठे घर को सेवा का घर कहते हैं. राहू का संबंध छठे, सातवें, दसवें या ग्यारहवें घर से हो तो व्यक्ति राजनीति में होता है.
छठे घर का संबंध चतुर्थेश या दशमेश से होता है तो व्यक्ति जनता की सेवा करता है. राजनीति में सफलता पा सकता है. जनता का समर्थन मिलता है.
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