Mahavir Jayanti 2023: महावीर जयंती कब मनाई जाएगी ? जानें वर्धमान से बने भगवान महावीर के जीवन के रोचक तथ्य
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Mahavir Jayanti 2023: महावीर जयंती कब मनाई जाएगी ? जानें वर्धमान से बने भगवान महावीर के जीवन के रोचक तथ्य

Mahavir Jayanti 2023, Date: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है.महावीर स्वामी ने संपूर्ण जीवन मानव जाति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम किया.

Mahavir Jayanti 2023: महावीर जयंती कब मनाई जाएगी ? जानें वर्धमान से बने भगवान महावीर के जीवन के रोचक तथ्य

Mahavir Jayanti 2023 Date , Birth anniversary: महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा हर साल मनाई जाती है. यह त्योहार महावीर स्वामी की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से एक थे. ऐसे में जानते हैं कि साल 2023 में महावीर जंयती कब मनाई जाएगी, क्या है भगवान महावीर के सिद्धांत और इस दिन का महत्व.

यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (अप्रैल के पहले या दूसरे सप्ताह) को मनाया जाता है. महावीर जयंती का मुख्य उद्देश्य महावीर स्वामी के जीवन और उनके द्वारा दिए गए संदेशों को याद करना होता है. इस दिन जैन समुदाय के लोग विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और समाज सेवा के कार्य भी करते हैं.

महावीर जयंती 2023 किस डेट को मनाई जाएगी (Mahavir Jayanti 2023 Date)

महावीर जयंती 4 अप्रैल 2023 को धूम-धाम से मनाई जाएगी. भगवान महावीर का 2621वां जन्मदिवस पर पावापुरी के अलावा पूरे देश में भव्य आयोजन होगा. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 अप्रैल 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 04 अप्रैल 2023 को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी.

 30 साल की उम्र में सांसारिक सुखों को त्याग कर भिक्षु बने

इनका जन्म एक शाही परिवार हुआ था. 30 साल की उम्र में एक भिक्षु बनने के लिए सांसारिक सुखों को त्याग कर संन्यास धारण कर लिया था. भगवान महावीर ने अगले 12 साल भारत भर में यात्रा करते हुए, ध्यान अहिंसा, करुणा और सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान के अपने दर्शन का प्रचार करने में बिताए.  

महावीर स्वामी के 5 प्रमुख सिद्धांत, जिन्हें पंचशील सिद्धान्त (Panchsheel Siddhanta) कहा जाता है.

  • सत्य
  • अहिंसा
  • अस्तेय यानी चोरी नहीं करना
  • अपरिग्रह यानी विषय व वस्तुओं के प्रति लगाव न होना
  • ब्रह्मचर्य का पालन 

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उन्होंने 42 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त किया और अपना शेष जीवन अपनी शिक्षाओं को फैलाने और भिक्षुओं और ननों के एक समुदाय की स्थापना में बिताया. भगवान महावीर की शिक्षाएं अहिंसा, आत्म-संयम, सत्यवादिता और सांसारिक संपत्ति के प्रति अनासक्ति के महत्व पर जोर देती हैं. उनका मानना ​​था कि सभी जीवित प्राणियों में एक आत्मा होती है और जीवन का अंतिम लक्ष्य आध्यात्मिक शुद्धता के मार्ग पर चलकर जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना है.

72 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति हुई

भगवान महावीर का 72 वर्ष की आयु में पावापुरी, नालंदा (बिहार)  में मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति हुई. जैन धर्म, भगवान महावीर द्वारा स्थापित धर्म, भारत और दुनिया भर में 4 मिलियन से अधिक अनुयायी हैं.

भगवान महावीर को जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और श्रद्धेय व्यक्तियों में से एक माना जाता है, और उनकी शिक्षाएं लोगों को अहिंसा और करुणा का जीवन जीने के लिए प्रेरित करती रहती हैं.

 

 

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