Jaipur News: जयपुर और नागौर में एवियन बॉट्युलिज्म बीमारी का खतरा कम हुआ, पशुपालन विभाग ने ली राहत की सांस
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Jaipur News: जयपुर और नागौर में एवियन बॉट्युलिज्म बीमारी का खतरा कम हुआ, पशुपालन विभाग ने ली राहत की सांस

सांभर झील अब संकटमुक्त हो गई है, क्योंकि पक्षियों में संक्रामक बीमारी एवियन बाट्युलिज्म पर काबू पा लिया गया है. इस बीमारी के कारण झील में पक्षियों की मृत्यु संख्या में वृद्धि हुई थी, लेकिन अब यह संख्या शून्य हो गई है.

Jaipur News: जयपुर और नागौर में एवियन बॉट्युलिज्म बीमारी का खतरा कम हुआ, पशुपालन विभाग ने ली राहत की सांस
Jaipur News: सांभर झील अब संकटमुक्त हो गई है, क्योंकि पक्षियों में संक्रामक बीमारी एवियन बाट्युलिज्म पर काबू पा लिया गया है. इस बीमारी के कारण झील में पक्षियों की मृत्यु संख्या में वृद्धि हुई थी, लेकिन अब यह संख्या शून्य हो गई है. पशुपालन विभाग की टीम ने इस बीमारी पर काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की और झील की नियमित मॉनिटरिंग की. इस पूरे माह के दौरान झील की मॉनिटरिंग जारी रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीमारी पूरी तरह से खत्म हो गई है.
 
जयपुर और नागौर में पक्षियों के लिए एक बड़ा खतरा बने एवियन बॉट्युलिज्म बीमारी का खतरा अब टल गया है. यहां पक्षियों की मौत का आंकड़ा अब जीरो पर आ गया है. पिछले एक सप्ताह से रोजाना होने वाली मौतों का आंकड़ा शूण्य हो गया है. इससे पशुपालन विभाग ने राहत की सांस ली है. यह रिपोर्ट देखिए-
 
सांभर झील में आने वाले देशी-विदेशी पक्षियों के जीवन पर मंडरा रहा एक बड़ा संकट टल गया है. करीब एक माह और 5 दिन पूर्व यहां पक्षियों में संक्रामक रोग देखा गया था. आईवीआरआई बरेली को भेजे गए सैंपल में पक्षियों में एवियन बॉट्युलिज्म बीमारी होने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद हजारों देशी-विदेशी पक्षियों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया था. लेकिन सूचना के तुरंत बाद ही पशुपालन विभाग, वन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस ने मिलकर मृत पक्षियों के निस्तारण की कवायद तेज की.
 
यहां करीब 3 दर्जन प्रजातियों के पक्षी सर्दियों के दौरान प्रजनन के लिए पहुंचे हुए हैं. वन विभाग और पशुपालन विभाग के संयुक्त प्रयासों से बीमार पक्षियों का उपचार किया गया. वहीं मृत पक्षियों का समयबद्ध निस्तारण किया गया. इसके लिए खड्डे खोदकर एसओपी के तहत निस्तारण किया गया.
 
सांभर झील में पक्षियों की मौत का पहला मामला 26 अक्टूबर को सामने आया था. इसके बाद से, झील के दायरे में 10 टीमें लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं. यह मॉनिटरिंग दिसंबर अंत तक जारी रहेगी.पशुपालन विभाग की टीमों ने अब तक कुल 404 पक्षियों का रेस्क्यू किया है. इनमें से 17 पक्षियों की परिवहन के दौरान मौत हो गई. 387 पक्षी जीवित पहुंचे, जिनका उपचार किया गया. रेस्क्यू सेंटर में इलाज के दौरान 267 पक्षियों की मौत हुई.
 
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सांभर झील से और आस-पास से कुल 726 मृत पक्षी एकत्रित किए गए हैं. पिछले एक माह के दौरान कुल 1010 पक्षियों की मौत हुई है. उपचार के बाद स्वस्थ पक्षी वापस झील में छोड़े गए हैं. वर्तमान में, रेस्क्यू सेंटर में 11 पक्षियों का इलाज चल रहा है.
 
सांभर झील में 26 अक्टूबर को देशी-विदेशी पक्षियों की मौत के बाद खुलासा हुआ था कि यह वही पुरानी बीमारी एवियन बाट्युलिज्म फैल रही है, जिसके केस यहां पिछले वर्षों में भी सामने आ चुके हैं. इसके बाद पशुपालन विभाग, वन विभाग, जिला प्रशासन, एनजीओ सहित अन्य विभागों की 10 टीमें गठित कर मृत जानवरों को निकालने और बीमार पक्षियों का उपचार शुरू किया गया था. काचरोदा और मीठड़ी में रेस्क्यू सेंटर बनाए गए थे.
 
रेस्क्यू सेंटर से 110 पक्षी ठीक होकर फिर से झील में छोड़े गए हैं. अभी भी पशुपालन विभाग द्वारा सांभर, नावां, फुलेरा आदि इलाकों में लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. पशुपालन और वन विभाग के पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारी की चेन अब टूट चुकी है, ऐसे में पक्षियों पर एक बड़ा संकट टल गया है.

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