Rajasthan News: राजस्थान में आंगनबाड़ी के बच्चों का बढ़ेगा स्वाद, उत्तराखंड और एमपी की तर्ज पर मिलेगा फ्लेवर्ड दूध
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Rajasthan News: राजस्थान में आंगनबाड़ी के बच्चों का बढ़ेगा स्वाद, उत्तराखंड और एमपी की तर्ज पर मिलेगा फ्लेवर्ड दूध

राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फ्लेवर्ड दूध उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है.

Rajasthan News: राजस्थान में आंगनबाड़ी के बच्चों का बढ़ेगा स्वाद, उत्तराखंड और एमपी की तर्ज पर मिलेगा फ्लेवर्ड दूध
Rajasthan News: राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फ्लेवर्ड दूध उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए पहले फ्लेवर्ड दूध का परीक्षण किया जाएगा और उसके बाद अनुमति प्रदान की जाएगी. इस पहल से आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट दूध मिलेगा.
 
 
मुख्यमंत्री अमृत आहार योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले 3 से 6 साल तक के बच्चों को सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाया जा रहा है. यह योजना बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए शुरू की गई है.
 
इस योजना के तहत, आंगनबाड़ी केंद्रों पर दूध के लिए मिल्क पाउडर पहुंचाया जा रहा है. यह मिल्क पाउडर राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) द्वारा आपूर्ति किया जा रहा है. प्रथम चरण में तीन-तीन माह के लिए यह मिल्क पाउडर आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंचाया जाएगा.
 
विभाग ने इस मिल्क पाउडर का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें फ्लेवर शामिल करने की तैयारी की है. इससे बच्चों को दूध पीने में अधिक आनंद आएगा और उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा.
 
 
मुख्यमंत्री अमृत आहार योजना के तहत, 3 से 6 साल के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाया जा रहा है. यह दूध मिल्क पाउडर के रूप में दिया जा रहा है, जिसे राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन आपूर्ति कर रहा है. विभाग ने इस मिल्क पाउडर में फ्लेवर शामिल करने की तैयारी की है ताकि बच्चों को यह दूध पीने में अधिक आनंद आए.
 
बच्चों में दूध को रुचिकर बनाने के लिए उन्हें फ्लेवर्ड मिल्क देने की योजना बनाई जा रही है. इसके लिए पहले फ्लेवर्ड मिल्क का परीक्षण किया जाएगा. अगर परीक्षण में कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया जाता है, तो दूसरे चरण में मिल्क पाउडर की सप्लाई के साथ ही उसमें फ्लेवर मिलाया जाएगा. इससे बच्चों को दूध पीने में अधिक आनंद आएगा.
 

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