Dungarpur News: डूंगरपुर जिले के वन विभाग की ओर से वनखंडो में मौजूद तेंदूपत्तों के लिए संभाग स्तर पर टेंडर जारी हो चुके है. इस वर्ष हुए टेंडर से वन विभाग को लगभग 1 करोड़ 9 लाख 43 हजार 942 रुपए की आय होगी.
Trending Photos
Dungarpur News: डूंगरपुर जिले के वन विभाग की ओर से वनखंडो में मौजूद तेंदूपत्तों के लिए संभाग स्तर पर टेंडर जारी हो चुके है. जिसके तहत डूंगरपुर जिले के सभी 9 इकाइयों के ठेकेजारी कर दिए गए हैं. इस वर्ष हुए टेंडर से वन विभाग को लगभग 1 करोड़ 9 लाख 43 हजार 942 रुपए की आय होगी. इधर, वनवासियों को तेंदूपत्ता तोड़ने का रोजगार भी मिलेगा. तेंदूपत्ते से वनवासियों को करीब 3 करोड़ 16 लाख 80 हजार रुपए का रोजगार मिलेगा.
बता दें कि, डूंगरपुर जिले के जंगलों में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता के पेड़ पाए जाते हैं. तेंदूपत्ता बीड़ी उद्योग में काम में आता है. इसके संग्रहण के लिए वन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष टेंडर जारी किये जाते हैं. इनसे वन विभाग को आय होती है. अब इन्ही से वनवासियों को रोजगार भी मिलेगा और सरकार की कमाई भी.
गौरतलब है कि तेंदू पत्ता संग्रहण को लेकर वन विभाग की ओर से संभाग मुख्यालय पर नीलामी की गई. डूंगरपुर जिले के उपवन संरक्षक रंगास्वामी ने बताया की जिले के 9 वन खंड में तेंदूपत्तों की नीलामी हुई है. वही इस वर्ष हुए टेंडर के चलते विभाग को 1 करोड़ 9 लाख 43 हजार 942 रुपए की आय होगी.
वनवासियों को मिलेगा रोजगार
डूंगरपुर जिले के उपवन संरक्षक रंगास्वामी ने बताया की तेंदूपत्ते से जहा सरकार को तो आय होती है. वही वन क्षेत्र में रहने वाले लोगो को भी रोजगार मिलता है. उन्होंने बताया की राज्य सरकार ने भी वनवासियों को फायदा देने के लिए प्रति मानक बोरा की दर से वृद्धि करते हुए 1320 रुपए निर्धारित किया है. सभी 9 इकाइयों से औसतन 24 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण होता है. इससे वनवासियों को तेंदूपत्ता तोड़ने पर 3 करोड़ 16 लाख 80 हजार रुपए की आय होगी.
आइए जानते है किस इकाई से कितनी होगी कमाई
वनक्षेत्र | राशि |
वेड | 25 लाख |
डाकनमारिया | 11 लाख |
रतनपुर | 8 लाख 8 हजार 888 |
बिछीवाड़ा | 36 लाख 16 हजार 692 |
झरनी | 4 लाख 6 हजार 666 |
चारवाड़ा | 2 लाख 86 हजार |
अंबाड़ा | 1 लाख 86 हजार |
आंतरी | 9 लाख 27 हजार 777 |
निठाउवा | 11 लाख, 11 हजार 919 |
कुल राशि | 1 करोड़ 9 लाख 43 हजार 942 रुपए |
बहरहाल, डूंगरपुर जिले में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम सिर्फ 2 माह चलता है. कुल मिलाकर तेंदूपत्ता से आबाद जंगल एक तरफ वन विभाग का सूखा दूर कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वन वासियों को भी रोजगार मुहैया कराने का साधन बन गया है. जंगलों में रहने वाले वनवासी ही तेंदूपत्ता तोड़ने का काम करेंगे, जिससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा.