Chittorgarh: किसान दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र में 48 कृषक पुरुष-महिलाओं ने लिया भाग
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1499788

Chittorgarh: किसान दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र में 48 कृषक पुरुष-महिलाओं ने लिया भाग

Chittorgarh News: किसान दिवस के आयोजन में 48 कृषक पुरुष और महिलाओं ने भाग लिया. कार्यक्रम में डॉ. रतन लाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष ने कृषकों को बताया कि 3 दिसंबर 1902 को भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था. 

Chittorgarh: किसान दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र में 48 कृषक पुरुष-महिलाओं ने लिया भाग

Chittorgarh: किसान दिवस के आयोजन में 48 कृषक पुरुष और महिलाओं ने भाग लिया. कार्यक्रम में डॉ. रतन लाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष ने कृषकों को बताया कि 3 दिसंबर 1902 को भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था. चौधरी चरण सिंह को किसानों के सबसे बड़े मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है. 

यह भी पढ़ें- RPSC का पेपर लीक हुआ तो फूट-फूटकर रोने लगी महिला अभ्यर्थी, हम हर बार मायूस लौटते हैं

साल 2001 से चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाने का फैसला किया गया था. चौधरी चरण सिंह को भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने का श्रेय दिया जाता है. खुद किसान परिवार से होने के कारण वो किसानों की समस्या और स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होते थे. इसलिए उन्होंने किसानों के लिए कई आवश्यक, सुधार के कार्य किए थे. किसानों का देश की प्रगति में बड़ा योगदान होता है, इसलिए हमें किसानों को सम्मान देना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. 

यह भी पढ़ें- एक ही चिता पर चार दोस्तों का अंतिम संस्कार, महाकाल के दर्शन कर लौटते वक्त हुई थी मौत

इस विशेष दिवस का उद्देश्य यही है कि, किसानों के योगदान को सराहा जाए. डॉ. सोलंकी ने किसान दिवस की महत्ता बताते हुए कहा कि चौधरी चरण सिंह ने साहूकारो से किसानों को राहत देने के निये ऋण मोचन विधेयक 1939 को बनाने में अहम रोल अदा किया. उन्होंने 1949 विधानसभा में कृषि उत्पादन बाजार विधेयक पेश किया. और 1952 में कृषि मंत्री बने. 1903 में जमीदारी प्रथा को समाप्त कर दिया. उन्होंने भूमिजोत अधिनियम 1960 को लाने में अहम भूमिका निभाई जिसका मकसद पूरे राज्य में भूमि जोत की सीमा को कम करना था ताकि इसे, एक समान बनाया जा सके. 23 दिसम्बर 1978 को किसान ट्रस्ट की स्थापना की थी.

यह भी पढ़ें- RPSC पेपर लीक: किरोड़ी लाल मीणा का बड़ा बयान- हर परीक्षा का पेपर लीक, हो CBI जांच

दिनेश जागा, परियोजना निदेशक, आत्मा ने कहा कि किसान के बिना जीवन मुश्किल है. हम भोजन के बिना जीवित नहीं रह सकते और भोजन का अधिकांश हिस्सा हमें किसानों के उपजाए हुए अन्न, दलहन और, फल-सब्जियों से मिलता है. किसान खेतों में मेहनत करके जो उपजाते हैं, उन्हीं से हमारा पेट भरता है. किसान न हों तो हमारा अस्तित्व नहीं रह पाएगा.

ओ.पी. शर्मा, उप निदेशक, कृषि (आई.पी.एम.) चित्तौड़गढ़ ने किसान दिवस के उपलक्ष में उपस्थित किसानो को उद्बोधन में बताया कि, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन हेतु किसान खेत की मिटटी की जांच कराये तथा भूमि उर्वरता प्रबंधन हेतु जैविक खादो का अधिकाधिक प्रयोग, फसलो में कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय बताये.

किसान सम्मान दिवस पर जिले के प्रगतिशील किसान , राजेन्द्र कीर नगरी, विनोद जाट सोनियाना, खांजू खां कन्नौज, देवी लाल कुमावत पंचदेवला, एवं महिला प्रगतिशील कृषक चंदा गुर्जर बोजुन्दा, आदि को सम्मानित किया गया. केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानिया ने किसान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस अवसर पर सम्मानित किये जाने वाले प्रगतिशील किसानों के नवाचार के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. साथ ही किसान दिवस पर आये अतिथि एवं प्रगतिशील किसान एवं कृषकों को धन्यवाद अर्पित किया.

Reporter- Deepak Vyas

Trending news