किशनगढ़ बास: पंचायत समिति की साधारण बैठक बनी महज एक खानापूर्ति और मजाक, जानिए वजह किशनगढ़ बास: पंचायत समिति की साधारण बैठक बनी महज एक खानापूर्ति और मजाक, जानिए वजह
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किशनगढ़ बास: पंचायत समिति की साधारण बैठक बनी महज एक खानापूर्ति और मजाक, जानिए वजह किशनगढ़ बास: पंचायत समिति की साधारण बैठक बनी महज एक खानापूर्ति और मजाक, जानिए वजह

किशनगढ़ बास पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक का आयोजन प्रधान बद्रीप्रसाद सुमन की अध्यक्षता और विधायक दीपचंद खैरिया की मौजूदगी में आयोजित किया गया.

साधारण बैठक बनी महज एक मजाक

Kishangarh Bas: राजस्थान के किशनगढ़ बास पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक का आयोजन प्रधान बद्रीप्रसाद सुमन की अध्यक्षता और विधायक दीपचंद खैरिया की मौजूदगी में आयोजित किया गया. सोमवार को आयोजित हुई. पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक महज एक खानापूर्ति व मजाक बनकर रह गई.

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किशनगढ़ बास पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक का आयोजन प्रधान बद्रीप्रसाद सुमन की अध्यक्षता और विधायक दीपचंद खैरिया की मौजूदगी में आयोजित किया गया. सोमवार को आयोजित हुई. पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक महज एक खानापूर्ति और मजाक बनकर रह गई. किशनगढ़ बास पंचायत समिति में कुल 27 पंचायत समिति वार्ड हैं और कुल 37 ग्राम पंचायतें है, इनमें 21 महिला सरपंच और 16 महिला पंचायत समिति सदस्य हैं, जिनमें सें केवल एक महिला सरपंच ही उपस्थित हुई, उनके स्थानों पर उनके परिजनों नें हिस्सा लिया और समस्याओं को गिनाया.

पंचायतीराज में संविधान के 73 वें संशोधन-1992 में महिलाओं को पंचायतों में एक तिहाई (33 प्रतिशत) आरक्षण दिया गया है. वर्तमान समय में इस आरक्षण को राजस्थान में इस सीमा को बढक़ार 50 प्रतिशत तक दिया है. यही कारण है कि पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी बढ़ी है. एक ओर जहां ग्रामीण क्षेत्र की महिलाए घूंघट में रहने के लिए विवश थी उन्हें पंचायतों में बोलनें का बहुत कम अधिकार था और उन्हें अपने पति, पिता या अन्य रिश्तेदारों पर निर्भर रहना पड़ता था. महिलाओं की समस्या पर वे खुद नहीं बोल पाती थी, लेकिन आज का समाज भी बदल रहा है और उन्हें इसके लिए अधिकार भी मिल रहे हैं.

संविधान के 73 वें संशोधन के अनुसार पंचायतीराज चुनाव में महिलाओं को दिए गए 50 प्रतिशत आरक्षण किस कदर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इसका नजारा किशनगढ़ बास पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक में देखनें को मिला. पंचायत समिति किशनगढ़ बास में कुल 27 पंचायत समिति वार्डों में 13 महिलाऐं निर्वाचित हुई थी और 37 ग्राम पंचायतों में 21 महिला सरपंच चुनी गई थी, लेकिन सोमवार को आयोजित हुई पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक में केवल एक ही महिला उपस्थित हुई. महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके परिजन और सम्बधियों नें बैठक में भाग लिया. 

बैठक में 21 महिला सरपंचों मे से केवल एक महिला सरपंच सीमा देवी ग्राम पंचायत झिरंडिया नें बैठक में भाग लिया. अचम्भित करनें वाली बात तो यह है कि महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर कार्यवाही रजिस्टर में उनके स्थान पर उनके सम्बधियों नें हस्ताक्षर ही नहीं किये बल्कि बैठक में जमकर हंगामा किया. यह सारी कार्यवाही विकास अधिकारी, तहसीलदार, विधायक, प्रधान, उपप्रधान सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में होती रही और सभी मूक दर्शक की भांति सारा नजारा देखते रहें.

बैठक कार्यवाही के दौरान पानी का मुद्दा छाया रहा और इस दौरान सरपंच रमेश पनवाल व रामप्रसाद में तीखी नोंक-झोंक हुई. बैठक में बिजली विभाग की लापरवाही सामनें आई कि राव चौकी निवासी ताहिर पुत्र सुभान खान के घर का तीन वर्षों से घरेलू विधुत कनेक्शन नहीं हुआ है और बिजली बिल दिया जा रहा है. साधारण सभा की बैठक के दौरान मेवात विकास बोर्ड बजट को लेकर उपस्थित पंचायत समिति सदस्यों और सरपंचों नें भेदभाव का आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया और जमकर हंगामा किया. इस मौके पर प्रधान बद्री प्रसाद सुमन, उपप्रधान शाहरूक खान, विधायक दीपचन्द खैरिया, क्षेत्रीय वन अधिकारी ललित सिंह, विधुत विभाग के सहायक अभियन्ता दिनेश भडाना, उपुलिस उपाधीक्षक कार्यालय के अमर सिंह, सहित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहें.

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