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Pushkar News: पुष्कर की धरा पर आयोजित होने वाला विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला में दूर दराज से घूमने आए लोगों का यह फेमस टूरिस्ट स्पॉट बना हुआ है. इस प्रसिद्ध पुष्कर मेले में मशहूर कालबेलिया लोक नृत्यांगना गुलाबो सपेरा ने अपने नृत्य से अपनी जन्मभूमि की सांस्कृतिक छटा बिखेरते हुए मेले में शिरकत कर रहे लोगों को वाहवाही मिली.
अरावली की गोद में जन्मी एक नन्हीं बच्ची को जन्म लेते ही जमीन में गाड़ दिया. 5 घंटे बाद बाप का प्यार और मां की ममता ने आखिर उस बच्ची को जमीन से निकालकर उसकी जिंदगी बचाई. बच्ची के मां- बाप की माली हालात ऐसी थी की उन्हें सांप का झूठा दूध पिलाकर उस नन्हीं बच्ची को पालना पड़ा. वहीं बच्ची आज पुष्कर की गलीयों और रेतीले धोरों में नाचती और गाती 6 साल की हो गई. सन 1981 के बाद उस नन्हीं बच्ची ने राजस्थान के लोक नृत्य कालबेलिया में महारत हासिल कर ली. फिर उसके कदम प्रदेश की राजधानी जयपुर में पड़े.
राजस्थानी लोक कला में बनाई अपनी पहचान
किस्मत के अजब खेल के बाद उसकी मेहनत और कड़ी लग्न ने उसे इतना मशहूर किया कि वो सात समुंदर पार जाकर राजस्थान की लोक कला और राज्य की संस्कृति का प्रचार करने लगी. यह कहानी पुष्कर के निकट कोटडा में जन्मी और और वहां कि गलियों में पली बढ़ी पद्मश्री सम्मान प्राप्त गुलाबो सपेरा की है, जो आज देश ही नहीं विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है. अपनी इसी पहचान के दम पर वह आज के समय में फैली कुरीति कन्या भ्रूण हत्या को लेकर समाज को जागरूक कर रही है.
बेटी बचेगी तो ही देश बचेगा
मशहूर कालबेलिया लोक नृत्यांगना गुलाबो सपेरा ने बताया कि सन 1985 में पहली बार अमेरिका से आने के बाद उन्होंने अपने समाज को कन्या हत्या रोकने का संकल्प दिलाया. गुलाबो ने कहा कि जब घर में लड़की ही नहीं होगी तो मां और पत्नी कहां से लाओगे. उनकी इस समझाइश में कामयाब होना उनकी पहली जीत थी.
जीवन में निराश कभी नहीं होना
पद्मश्री गुलाबो सपेरा का जीवन अपने आप में प्रेरणा देने वाला है. ऐसे में आने वाली भावी पीढ़ी को जीवन के संघर्ष में प्रेरणा देने के लिए गुलाबो ने कहा कि जीवन में कभी निराश ना हो. आप हमेशा आगे की ओर देखें, पीछे कभी नहीं देखना चाहिए, क्योंकि आगे परमात्मा आपका हाथ पकड़ने के लिए खड़ा है, और पीछे आपके दुश्मन आपका इंतजार कर रहे हैं . चाहे आप किसी भी प्रोफेशन में हो सकारात्मक सोच के साथ प्रगति की ओर आगे बढ़ते रहने से आपका सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है.
जगतपिता ब्रह्मा और माता पिता को दिया कामयाबी का श्रेय
165 देशों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी पद्मश्री कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो सपेरा ने बताया कि यदि मेरे माता-पिता हिम्मत करके मुझे जमीन से नहीं निकालते तो मेरा जीवन नहीं बचता और इसके साथ ही जगतपिता ब्रह्मा के पुष्कर की धरा ने मुझे ख्याति के इस स्तर पर पहुंचाया है इसलिए मेरी कामयाबी का श्रेय माता-पिता और जगतपिता ब्रह्मा को ही है।
पुष्कर मेले के दौरान दी रंगारंग प्रस्तुति
लोक नृत्यांगना गुलाबो सपेरा इन दिनों तीर्थ नगरी पुष्कर के मेले में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में अपने परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ प्रस्तुति दे रही थी. गुलाबो, अपनी बेटी राखी, पूनम, हेमलता और रूपा के साथ छह वर्षीय पोती तिया और दस वर्षीय माही के साथ हजारों दर्शकों के बीच मेला स्टेडियम के रंगमंच पर राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति देने पहुंची थी. गुलाबो ने कालबेलिया, घूमर, बंजारा से लेकर भवई नृत्य पर एक से बढक़र एक प्रस्तुतियां दी.गुलाबो के साथ जयपुर से पुष्कर पहुचे 20 से अधिक कलाकारों ने घूमर, चरी, बंजारा, भवई, मयूर और घूमर नृत्य पेश किया.
वहीं. गुलाबो ने काल्यो कूद पड्यो मेला में.राजस्थानी गीत पर उमदा पेशकश देकर उपस्थित देशी-विदेशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.गुलाबो ने इस कार्यक्रम के लिए सोलह किलों की पोषाक तैयार करवाई है.इसके साथ सोने और चीड़ से बने गहनें पहनकर प्रस्तुतियां दी.
Reporter: Ashok Bhati
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