सुशीला किन्नर मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ ना कुछ करती रहती है. पर इस बार उसकी राजनीति में सक्रियता सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. सुशीला किन्नर पुष्कर मेले में पशुपालकों से मिलने पहुंची थी. इसी दौरान पशुपलको को आरएलपी संस्थापक हनुमान बेनीवाल के पक्ष में मतदान करने की अपील करती नजर आई.
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Ajmer: सस्ती मिठाई और सस्ता चारा बेचकर चर्चाओं में आई सुशीला किन्नर अब चुनाव से पहले राजनीति राह पर उतरती नजर आ रही हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सुशीला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं.
पुष्कर मेले में पशुपालकों से मिलने के दौरान सुशीला ने की अपील
सुशीला किन्नर मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ ना कुछ करती रहती है. पर इस बार उसकी राजनीति में सक्रियता सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. सुशीला किन्नर पुष्कर मेले में पशुपालकों से मिलने पहुंची थी. इसी दौरान पशुपलको को आरएलपी संस्थापक हनुमान बेनीवाल के पक्ष में मतदान करने की अपील करती नजर आई.
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घुमंतू गोचर परिवार में जन्मी सुशीला, भाई-भोजाई ने किया परिवार से अलग
राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा गांव, घनेरी गोलियां में घुमंतू गोचर परिवार में जन्मी सुशीला अपने परिवार के साथ 24 सालों तक सुरेश बनकर रही. सुशीला के भाई और भोजाई से झगड़ा होने के बाद उसे मध्यप्रदेश के भोपाल में किन्नर अपने साथ ले गए. वहां 1 साल से भी कम समय निकालने के बाद सुशीला ने भोपाल की दिगंबर जैन परिवार की मदद से किन्नर समूह पर केस लगा दिया. इस बीच सुशीला के मां-बाप की असामयिक मृत्यु हो गई.
सुशीला बताती हैं कि उस दौर में भोपाल में विद्यासागर और सुधा सागर महाराज का चातुर्मास चल रहा था. इसीलिए दिगंबर जैन परिवार उनसे अपने सामने गायों का दूध निकलवा कर महाराज के लिए ले जाते थे. उसी परिवार ने सुशीला को दो गाय और एक भैस दान में दी, जिससे बिकने वाले दूध से उसने अपना जीवन यापन किया.
मीडिया की सुर्खियों में बने रहना का हुनर जानती हैं सुशीला
10 वर्ष पूर्व सुशीला किन्नर किशनगढ़ में रह रही थी. इसी दौरान हलवाई द्वारा सुशीला की गाय पर कथित हमला करने से नाराज हुई सुशीला ने उस हलवाई की दुकान के पास ही दिवाली और धनतेरस के अवसर पर लगातार 8 वर्षों तक 10 रुपये किलो देसी घी की मिठाई बेचकर उसे सबक सिखाया. इस घटना के बाद ही सुशीला चर्चाओं में बनी रही तो वही तीर्थ नगरी पुष्कर के मिठाई विक्रेताओं द्वारा महंगी मिठाई और गुणवत्ता की कमी के चलते व्यथित हुई सुशीला किन्नर ने दीपावली पर 10 रुपए किलो मिठाई बेचने का निर्णय लिया था, जिसके लिए वह कलेक्टर से लेकर आई जी ऑफिस के चक्कर काट चुकी थी. बाजार में मिठाई बेचने की अनुमति नहीं मिलने के चलते उसने तीर्थ पुरोहित संघ ट्रस्ट के यात्री निवास पर मिठाई सिर्फ पराशर ब्राह्मणों को बेची.