दंगों और हिंसा पर हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB का नया एनालिसिस सामने आया है. इसके मुताबिक, भारत में दंगों की संख्या में तेजी से कमी आई है. आंकड़े बताते हैं कि देश वर्तमान में सबसे शांतिपूर्ण दौर से गुजर रहा है.
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NCRB Report: भारत पिछले 50 सालों के मुकाबले 2013 से सबसे शांतिपूर्ण दौर से गुजर रहा है. बीते कुछ सालों में देशभर में होने वाले दंगों की संख्या में भारी कमी आई है. भारत में साल 2013 के बाद दंगों की संख्या तेजी से कम हुई है. इस बात का खुलासा हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से जारी किए आंकड़ों में हुआ है.
NCRB के एक हालिया विश्लेषण के अनुसार, देश में दंगों की दर पिछले 50 वर्षों में सबसे कम है. एनसीआरबी का ग्राफ दंगों में लगातार गिरावट दिखाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) की सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि ने हाल में एक ट्वीट किया गया, जिसमें उन्होंने लिखा- 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश में दंगों में तेजी से गिरावट आई है. 2021 में दंगों के मामले अब तक सबसे कम हैं.
Riots (violence) in India is on a steady decline. The country is most peaceful in 50 years. Here’s the updated analysis using NCRB data: https://t.co/RT5ppFdW20 pic.twitter.com/ko9FpA8g21
— Prof. Shamika Ravi (@ShamikaRavi) June 15, 2023
इस दौर में हुए सबसे ज्यादा दंगे
एनसीआरबी की ओर से किए गए हालिया विश्लेषण ग्राफ से पता चलता है कि 1980 के दशक के दौरान दंगे की शिकायत और हिंसा के मामले सबसे ज्यादा थे. फिर 1990 के दशक के आखिर में इसमें भारी गिरावट आई. यह दौर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पहला कार्यकाल था. ग्राफ के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान दंगों और हिंसा के मामले में मामूली बढ़ोतरी हुई, लेकिन पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान दंगों की शिकायतों की संख्या सबसे कम हो गई.
50 सालों में देश सबसे शांतिपूर्ण
प्रोफेसर शमिका रवि ने ट्वीट करते हुए लिखा- भारत में दंगों (हिंसा) में लगातार गिरावट आ रही है. देश 50 वर्षों में सबसे शांतिपूर्ण है. EAC सदस्य ने सोशल मीडिया पर आगे लिखा- आंकड़े बताते है कि 1998 के बाद से भारत में दंगों के आंकड़े बहुत तेजी से गिर रहे हैं. सबसे ज्यादा दंगे 1981 में हुए थे. 2020 में दिल्ली के दंगों के दौरान हिंसा और दंगे का आखिरी बड़ा दौर देखा गया था, जिसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली में बड़े पैमाने पर खून-खराबा और गड़बड़ी देखी गई थी, जिसमें 53 लोगों के मारे जाने की खबर थी.