Betwa River Story: मध्य प्रदेश की गंगा कहे जाने वाली बेतवा नदी के हाल इस समय बेहाल हो गए हैं. यहां पहुंचने वाले भक्त इसकी गंदगी से परेशान हैं. आइये तस्वीरों में बेतवा के हाल और इसकी पौराणिक कहानी जानते हैं.
उद्योगों और प्रशासन के साथ लोगों की लापरवाही नदियों को खासा नुकसान पहुंचा रही है. कुछ यही हाल है MP की गंगा कही जाने वाली बेतवा नदी की जहां की गंदगी से भक्त परेशान हैं. आइये तस्वीरों के साथ बेतवा की कहानी और इसके हाल जानते हैं.
पुराणों में वर्णित बेतवा नदी जिसे कलयुग की गंगा भी कहा जाता है. ये विदिशा की जीवनदायिनी नदी भी कही जाती है. पिछले कुछ सालों से लगातार बेतवा इस कदर प्रदूषित हो चुकी है कि अब उसका पानी का इस्तेमाल सीधा तौर पर नहीं किया जा सकता है.
विदिशा के लगभग पांच गंदे नाले नदी में मिलते हैं जो उसे प्रदूषित कर रहे हैं. इस कारण सभी धर्म के प्रमुख त्योहारों पर होने वाले आयोजन में पहुंच रहे भक्त भी इससे परेशान हो गए हैं.
बेतवा नदी पर लंबे समय से श्रमदान करने आ रहे गोरेलाल प्रसाद गोहिया ने बताया कि उनको यहां आते वर्षों बीत गए हैं. नदी की दुर्दशा अपनी आंखों से देख रहे हैं. पहले ये काफी साफ हुआ करती थी लेकिन अब इसके हाल बेहाल हो गए है.
गोरेलाल प्रसाद गोहिया के अनुसार, एक समय ऐसा था जब इसी नदी में एक-एक मीटर की मछलियां पाई जाती थीं. अब इंच भर की मछलियां ढूंढने के लिए आंखें तरस जाती हैं. अब बेतवा के विभिन्न घाटों पर गंदगी पसरी हुई है.
वर्तमान में सभी धर्म इस घाट से विभिन्न धार्मिक आयोजन भी करते हैं लेकिन नदी के विकास और सुधार के संबंध में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. समय रहते नहीं बचाया गया तो मुंह धोने के लिए पानी नहीं मिलेगा.
विदिशा का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा घाट जिसे जानकी घाट के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि भगवान राम भी लक्ष्मण के साथ मां सीता की खोज करते हुए यहां आए थे.
लोगों का मानना है कि आल्हा की लड़ाई में इतना खून बहाया गया की पूरी नदी लाल हो गयी थी. उस समय से अब तक यहां लाल रंग का मौरंग पाया जाता है.
बेतवा का प्राचीन नाम वेत्रवती है. ये रायसेन के कुम्हारागांव से निकलकर भोपाल, विदिशा होकर झांसी, ललितपुर में बहती है. इसकी लंबाई 590 किलोमीटर है. ये हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है.
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