Mahalaxmi Mandir: रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर देश का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां प्रसाद में भक्तों को आभूषण मिलता है.
रतलाम में एक बार फिर प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर कुबेर के खजाने की तरह तैयार हो रहा है. धनतेरस से 5 दिवसीय दीपोत्सव में महालक्ष्मी मंदिर में कुबेर का खजाना नजर आएगा और धनतेरस की सुबह से यहां दर्शनार्थियों का तांता लगेगा.
माणकचौक में महालक्ष्मी की प्रतिमा में दो स्वरूपों के दर्शन भक्त करते है. महालक्ष्मी के पास दाहिनी तरफ भगवान गणेश व बायीं तरफ माता सरस्वती विराजमान है.
पुरानी मान्यता के अनुसार इस रतलाम के प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर पर धनतेरस के पहले से श्रद्धालु अपनी नकदी ज्वेलरी को मंदिर में जमा करवाते है जिसके लिए बाकायदा एक रजिस्टर में एंट्री होती है.
इसकी एंट्री करने के बाद लोगो को टोकन दिया जाता है. भाई दूज के बाद टोकन वापस देने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है.
5 दिन तक इस खजाने की सुरक्षा में पुलिस गार्ड तैनात किए जाते है और सीसीटीवी कैमरे से 24 घंटे इसकी निगरानी रखी जाती है.
रतलाम में निवास कर रहे बड़े-बुजुर्गों की माने तो देवी लक्ष्मी साक्षात इस मंदिर में विराजमान है. व्यापारी वर्ग मानते है कि महालक्ष्मी के आशीर्वाद से ही उनका व्यापार बढ़ रहा है.
श्रद्धालु अपनी नकदी ज्वेलरी इस मंदिर में रखते है और इसके पीछे यही आस्था है कि मंदिर में अपनी नकदी ज्वेलरी इनके पास रखने से महालक्ष्मी का आश्रीवाद मिलता है धन में वृद्धि होती है. फिर इसके बाद इन्हे लौटा भी दी जाती है.
मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी भेंट के रुप में चढ़ाया जाता है वो उसी साल के अंत में दोगुनी हो जाती है. खासतौर पर दीवाली के समय इस मंदिर में खूब भीड़ होती है.
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