Sarvapitri Amavasya 2022: इस साल पितृ विसर्जन 26 सितंबर यानी कल है. इस दिन पितरों की विदाई की जाती है. आइए जानते हैं कैसे करें पितरों की विदाई और क्या है इसका महत्व?
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Sarva Pitri Amavasya 2022 Puja Vidhi Upay: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है. पितृपक्ष की शुरुआत हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, इस दौरान पितरों का तर्पण, पूजन व पिंडदान किया जाता है. पितृपक्ष का समापन कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होता है. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से हो गई है, इसका समापन 25 सितंबर यानी कल हो रहा है. मान्यता है कि जो लोग इस दिन पितरों की विदाई श्रद्धा भाव से करते हैं उनके घर में पितृदोष नहीं लगता है और वे पूरे साल खुशहाल रहते हैं. आइए जानते हैं पितृ विसर्जन के दिन कैसे करें पितरों की विदाई, जिससे हमारे सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय
पितृ विसर्जन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उसकी हमेशा देखभाल करें मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और हम पूरे वर्ष खुशहाल रहते हैं. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करें और पितृपक्ष के दौरान हुए गलती के लिए क्षमा याचना मांगें. इस दिन गरीब ब्राम्हणों को जरुरत की चीजें दान करें. अगर संभव हो तो इस दिन चांदी का दान अवश्य करें, क्योंकि चांदी का दान सबसे उत्तम माना गया है.
इस विधि से करें पितरों की विदाई
मान्यता है कि पितर पक्ष के दौरान कराया गया भोजन सीधे हमारे पितरों को मिलता है. पितृ विसर्जन के दिन पितरों की विदाई की जाती है. ऐसे में इस दिन आप पितरों का मनपंसद भोजन बनाएं. साथ ही इस दिन पूड़ी, मालपुआ, खीर, पकौड़ी, कड़ी, बड़ा इत्यादि तरह-तरह के भोजन बनाएं. इसके बाद इस दिन ब्राम्हणों को घर बुलाकर उनका चरण धूलें और उन्हें इज्जत सत्कार के साथ भोजन कराएं. साथ ही उनको इच्छा अनुसार दक्षिणा व वस्त्र दें और उनका तिलक लगाकर विदाई करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
पितृदोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
पितृ विसर्जन के दिन हमारे पूर्वज पितृ लोक में चले जाते हैं. इसलिए इस दिन पितरों की विदाई की जाती है. इस दिन पितरों के नाम पर अंतिम पिण्डदान करने के साथ ब्राम्हणों को भोजन कराया जाता है. यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं मालूम होती है वे लोग अपने पितरों के नाम पर श्राद्ध कर सकते हैं. इस दिन आप पितृदोष से मुक्ति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध के साथ गीता का पाठ कराएं. साथ ही इस दिन रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सुक्त ब्रम्ह सूक्त का पाठ करें.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन करें ये काम
सर्वपितृ अमावस्या के दिन स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें. इसके बाद इसे पीपल के पेड़ के जड़ में ले जाकर अर्पित कर दें. इस दौरान ऊँ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप करें.
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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)