चंद्रयान-3 में MP के लाल का अहम योगदान, सरकारी स्कूल से पढ़कर चांद पर तिरंगा फहराने को तैयार
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1781062

चंद्रयान-3 में MP के लाल का अहम योगदान, सरकारी स्कूल से पढ़कर चांद पर तिरंगा फहराने को तैयार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने चंद्रयान-3 को लॉन्च कर बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. इस उपलब्धि में मध्य प्रदेश के एक बेटे का भी अहम योगदान है. एमपी के रहने वाले वैज्ञानिक सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बावजूद इस मुकाम पर पहुंच गए हैं.

चंद्रयान-3 में MP के लाल का अहम योगदान, सरकारी स्कूल से पढ़कर चांद पर तिरंगा फहराने को तैयार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने चंद्रयान-3 को लॉन्च कर बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. इस उपलब्धि में मध्य प्रदेश के एक बेटे का भी अहम योगदान है. एमपी के रहने वाले वैज्ञानिक सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बावजूद इस मुकाम पर पहुंच गए हैं.

  1. MP NEWS/कमल सोलंकी: चंद्रमा पर एडवांस रिसर्च करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्र मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई शुक्रवार को भारतीय समयानुसार दोपहर ठीक 02:35 पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है. यह चंद्रयान 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड करेगा.
  2. मिशन में धार जिले के धामनोद के रहने वाले इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में प्रोसेस एंड क्वालिटी एशोरेंस विभाग डिविजन में कार्यरत अंतरिक्ष वैज्ञानिक रवि कुमार वर्मा का भी अहम योगदान है. जो चंद्रयान-3 के साथ अंतरिक्ष में जाने वाले पेलोड और गेजेट्स कैमरे जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इत्यादि की विश्वसनीयता जांचने वाली टीम में शामिल हैं. इसके पहले वे चंद्रयान 1, 2, मंगलयान, 104 सेटेलाइट प्रक्षेपण जैसे अनेकों अभियान में भी सहभागिता कर चुके हैं. 
  3. यह टीम परखती है कि जो मटेरियल इस्तेमाल किया है वह अंतरिक्ष में माइनस 150 डिग्री से प्लस 200 डिग्री तक के तापमान, डीप वैक्यूम, जीरो ग्रेविटी, मैग्नेटिक फील्ड, स्पेस पार्टिकल आदि होते हैं, जिसका उपग्रह को सामना करना होता है. वहां टिक पाएगा या नहीं. उसी पर अभियान की सफलता भी निर्भर करती है. 
  4. सरकारी स्कूल में हुई पढ़ाई 
    रवि वर्मा की शुरुआती शिक्षा धामनोद के सरकारी स्कूल में हुई है. जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज बोरावा से बीई मैकेनिकल की डिग्री ली. 6 महीने दिल्ली में रहे, जहां अध्ययन के दौरान 2006 में अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो में चयन हो गया.  2014 तक वे थुंबा अंतरिक्ष केंद्र त्रिवेंद्रम में रहे, जहां उपग्रह प्रक्षेपण संबंधित अंतिम तैयारियों होती हैं. 2014 से वे निरंतर अहमदाबाद स्पेस अप्लीकेशन सेंटर में सेवारत हैं. 
  5. कई जगह कर चुके हैं काम
    केरियर की इस ऊंचाई तक जाने के बावजूद भी वे विनम्र हैं  और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से भेंट पश्चात प्रेरित होकर अपने सेमिनार और प्रदर्शनियों के जरिए स्कूलों कॉलेजों में जाकर भारत की भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन करने के अभियान में भारत विकास परिषद एवं विजय नामदेव के सहयोग से लगे हुए हैं. इसी तारतम्य में वे राजभवन भोपाल, आईआईटी इंदौर, पारुल यूनिवर्सिटी सहित अनेकों शैक्षणिक संस्थाओं में अंतरिक्ष विज्ञान की आधुनिक तकनीक और कैरियर गाइडेंस पर सेमिनार एवं प्रदर्शन कर चुके हैं.

Trending news