Gandhwani Assembly Seat: धार जिले की गंधवानी विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस के गढ़ के रूप में जाना जाता है. इस सीट के गठन के बाद से लगातार उमंग सिंघार कांग्रेस उम्मीदवार जीतते रहे हैं.
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Gandhwan Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. इसी कड़ी में सभी की नजर धार जिले की गंधवानी विधानसभा सीट पर भी है. वर्तमान में यहां से कांग्रेस के उमंग सिंघार विधायक हैं. सिंघार पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेत्री जमुना देवी के भतीजे हैं. आईये जानते हैं, इस सीट का पूरा समीकरण क्या है.
गंधवानी सीट का जातिगत समीकरण
भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो गंधवानी पहाड़ी क्षेत्र में आता है. इसलिए यहां पर उम्मीदवारों को वोटर्स से जनसंपर्क करने के लिए अधिक मेहनत भी करनी पड़ती है. गंधवानी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता आदिवासी समाज के हैं. यहां मुख्य रुप से आदिवासी समाज की दो जातियां हैं- भील और भिलाला. जीत आदिवासी समाज के वोटों पर निर्भर करती है.
- कुल मतदाता : 2,14,832
पुरुष मतदाता : 1,08,632
महिला मतदाता : 1,06,189
गंधवानी का राजनीतिक इतिहास
पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी आदिवासी अंचल की कद्दावर नेता थीं. उन्हीं के साथ उमंग सिंघार की भी आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत हो गई. इसी बीच जमुना देवी का स्वास्थ्य खराब होने लगा, तब से ही उमंग के राजनीति में आने के चर्चे शुरू हो गए थे. गंधवानी कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है. परिसीमन के बाद से ही गंधवानी विधानसभा में उमंग का कब्जा रहा. साल 2008, 2013, और 2018 से कांग्रेस के उमंग ही यहां से लगातार जीत रहे हैं.
2018 में कैसे रहा नतीजा
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उमंग सिंघार ने बीजेपी उम्मीदवार सरदार मेडा को 38 हजार 831 वोटों से हराया था, उनको कुल 58 फीसदी वोट मिले थे.
कौन कब यहां से जीता
2018 - उमंग सिंघार (कांग्रेस)
2013 - उमंग सिंघार (कांग्रेस)
2008- उमंग सिंघार (कांग्रेस)
1998- हरिंदर जीत सिंह (बाबू) (बीजेपी)
1993 - जयश्री बनर्जी (बीजेपी)
1990- जयश्री बनर्जी (बीजेपी)
1985 - चंद्र कुमार भानोत (कांग्रेस)
1980- चंद्र कुमार (कांग्रेस)
बीजेपी की क्यों है नजर?
दरअसल उमंग सिंघार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेताओं में होती है. उमंग को बीजेपी अपनी तरफ लाकर आदिवासी क्षेत्र में खुद को मजबूत करना चाहती है. लेकिन पार्टी और नेताओं के खिलाफ खुलकर बोलने के बाद भी वो कांग्रेस से बगावत करते नहीं दिख रहे हैं. जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए तो सिंघार ने ही दावा किया था कि उन्हें 50 करोड़ रुपये का ऑफर मिला है. इसके अलावा उमंग दिग्विजय सिंह पर भी कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं.