MP News: IAS बनने का सपना रह गया अधूरा, लेकिन जाते-जाते युवक ने बचाई 7 जिंदगियां, जानें पूरा मामला
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2363851

MP News: IAS बनने का सपना रह गया अधूरा, लेकिन जाते-जाते युवक ने बचाई 7 जिंदगियां, जानें पूरा मामला

Madhya Pradesh News: खरगोन में मां ने अपने ब्रेन डेड बेटे की आखिरी इच्छा अपने पति को भारी मन से बताई और दंपती ने बेटे के सातों अंग दान कर दिए. वडोदरा में सुपर कॉरिडोर बनाकर डॉक्टरों की टीम ने सभी सात अंगों को अहमदाबाद, मुंबई और चेन्नई के बड़े अस्पतालों में भेजा.

 

 

 

MP News: IAS बनने का सपना रह गया अधूरा, लेकिन जाते-जाते युवक ने बचाई 7 जिंदगियां, जानें पूरा मामला

Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन से एक प्रेरणादायक खबर आई है, जिसे सुनकर आप भी इसकी तारीफ करते नहीं थकेंगे. दरअसल जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर कसरावद तहसील के छोटे से गांव सांगवी के मोयदे परिवार ने अपने ब्रेन डेड बेटे के एक नहीं बल्कि सात अंग दान किए हैं. ग्रेजुएशन के बाद 24 साल के विशाल मोयदे के सपने बड़े थे. वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. युवक की आखिरी इच्छा ने 7 लोगों को नई जिंदगी दी है. विशाल ने इलाज के दौरान अपनी मां को अपने मन की बात बताई थी.

मां से जताई थी अंतिम इच्छा
बता दें कि 10 साल के इलाज के बाद भी युवक की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. विशाल ने इलाज के दौरान अपनी मां से अंग दान करने की इच्छा जताई थी. विशाल के ब्रेन डेड होने के बाद उसके माता-पिता ने उसकी आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उसके अंग दान कर दिए. डॉक्टरों की मदद से गुजरात के वडोदरा अस्पताल में ऑपरेशन किया गया और सुपर कॉरिडोर बनाकर अंगों को सूरत, अहमदाबाद और बॉम्बे भेजा गया.

यह भी पढ़ें: माता-पिता ने TV और मोबाइल देखने से रोका तो बच्चे पहुंचे थाने, दर्ज कराई FIR, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

 

यूपीएससी, बीएड समेत कई परीक्षाओं की तैयारी
बता दें कि विशाल 2018 से दिमाग की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. विशाल यूपीएससी, बीएड समेत कई परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. यूपीएससी की तैयारी कर रहे विशाल का सपना कलेक्टर बनने का था. लेकिन खरगोन में डीएड की परीक्षा देते समय परीक्षा हॉल में विशाल को सिर में दर्द होने लगा और वह बेहोश हो गया. उसे तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया और दिक्कत बढ़ने पर इंदौर ले जाया गया. यहां से उसे गुजरात के बड़ौदा स्थित जाइडस अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां पता चला कि विशाल के सिर पर नसों का गुच्छा बन गया है. इसके बाद विशाल का इलाज लगातार चलता रहा. इस दौरान विशाल ने अपनी मां को अपने मन की बात बताई और कहा कि अगर मेरा जीवन खत्म होने को आए तो मेरे शरीर के अंगों को गरीबों और जरूरतमंदों को दान कर देना. 

यह भी पढ़ें: MP के 5 लाख कर्मचारियों को बड़ी सौगात: रिटायरमेंट पर पेंशन में 30% की बढ़ोतरी, ये राशि भी बढ़ेगी

 

युवक ने बचाई 7 जिंदगियां
विशाल के माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए बडोदरा में सुपर कॉरिडोर बनाया गया. डॉक्टरों की टीम ने विशाल के शरीर से सात अंग निकाले. विशाल का लिवर, दिल, छोटी आंत, दोनों फेफड़े और दोनों किडनी दान की गईं. किडनी अहमदाबाद के ज़ाइडस अस्पताल भेजी गईं. फेफड़े अहमदाबाद के केडी अस्पताल भेजे गए. दिल मुंबई के रिलायंस अस्पताल भेजा गया. छोटी आंत चेन्नई के एमजीएम अस्पताल भेजी गई. लिवर सूरत के किरण अस्पताल भेजा गया. इस प्रकार विशाल के अंगों को विभिन्न अस्पतालों को दान कर दिया गया ताकि उनका उपयोग जरूरतमंद मरीजों के लिए किया जा सके.

नर्मदा तट पर अंतिम संस्कार
जैसे ही विशाल के शरीर के अंगों को ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकाला गया, वहां मौजूद उसकी मां, पिता और रिश्तेदारों ने उसके शरीर के अंगों की पूजा कर उसे अंतिम विदाई दी. जिसके बाद विशाल का पार्थिव शरीर उसके निवास स्थान सांगवी लाया गया. जहां बुधवार दोपहर को माकड़खेड़ा के पास मां नर्मदा के तट पर परिजनों, समाजजनों और ग्रामीणों ने मिलकर अंतिम संस्कार किया.

विशाल के पिता ने कही ये बात
वहीं विशाल के पिता ने कहा कि 'मैं मानव जगत को यही संदेश देना चाहता हूं कि हर इंसान को ऐसे नेक कार्य करने चाहिए. क्योंकि हमारी आत्मा शरीर को छोड़ देती है. लेकिन अगर हमारे मानव अंग किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आ सकें, जिससे उसे नया जीवन मिल सके और उसके परिवार में खुशियां आ सकें. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी और हम यह भी कह सकते हैं कि हमारा इंसान अभी जिंदा है'.

रिपोर्ट- राकेश जायसवाल

Trending news