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प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अब डेढ़ साल से भी कम समय बचा हुआ है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस अब चुनावी मोड में आ चुकी हैं, खास बात यह है कि इस बार कांग्रेस भी बीजेपी की राह पर नजर आ रही है. बीजेपी चुनावों से पहले जिस प्लान पर काम करती थी, इस बार कांग्रेस ने उस प्लान पर पहले से ही काम शुरू कर दिया है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अब प्रदेश में बीजेपी की राह पर चल रही है. कांग्रेस के इस प्लान पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने बड़ा बयान दिया है. तो आप भी जानिए कांग्रेस इस बार किस प्लान पर काम कर रही हैं.
कांग्रेस का प्लान
दरअसल, कांग्रेस इस बार 2023 के चुनाव को लेकर पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. कांग्रेस इस बार भाजपा की तर्ज पर प्रदेश में सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय आधार बनाने में जुटी है. इसके अलावा कांग्रेस चुनाव से पहले युवाओं को साधने के लिए भी पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है. यही वजह है कि युवाओं को साधने के यूथ कांग्रेस से निकले युवाओं को ही इस बार कांग्रेस ने अधिकतर जिलों का सह प्रभारी बनाया है.
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने बताया कि प्रदेश में बड़ा रिसफल हो रहा है. बहुत जगह जिला अध्यक्ष चेंज हो रहे हैं. इस बार प्रदेश कार्यकरिणी छोटी बनेगी. जबकि सामाजिक, धार्मिक, क्षेत्रीय समीकरण को साधते हुए पीसीसी बॉडी बनाने में जुट गई है. जिसका फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिलेगा. इसलिए अब युवाओं को साधने के लिए कांग्रेस सभी जिलों में यूथ को ही जिला सह प्रभारी बना रही है. जबकि इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस ने ज्यादातर युवाओं को ही टिकट दिया है. जिसका फायदा भी देखने को मिला है.
हालांकि सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जिन युवाओं और नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है, अगर वह सही तरीके के से काम नहीं करेंगे और उनका काम बेहतर नहीं दिखेगा तो बेहतर काम न करने वाले जिला अध्यक्षों को हटाया भी जाएगा.
2023 में युवा टर्निंग प्वाइंट रहेंगे
दरअसल, मध्य प्रदेश में राजनीतिक दल 2023 के कमर कसने में जुट गए है. राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि प्रदेश में जिस तरह की स्थिति बन रही है, उसमें 2023 में युवा टर्निंग पॉइंट रहेंगे. क्योंकि यूथ कांग्रेस के एक बूथ पर पांच यूथ अभियान फ्लॉप होने के बाद अब युवाओं को लेकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है.
2023 पर दोनों पार्टियों का फोकस
दरअसल, बीजेपी को इस बार 16 में से केवल 9 नगर निगमों में महापौर के चुनाव में जीत मिली है. जबकि सात नगर निगम उसके हाथ से निकल गए. वहीं बात अगर कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस को पांच नगर निगमों में जीत मिली है. लेकिन पिछली बार की तुलना में इस बार पार्टी के हाथ से कई नगर पालिकाएं और नगर परिषद निकल गईं. जबकि कई जगहों पर उसको करीब जाकर हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में दोनों ही पार्टियों को लिए यह नतीजें 2023 के लिए काफी मायने रखते हैं. यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों ने समीक्षा के साथ-साथ विधायकों को भी ''मिशन-2023'' के लिए अपने-अपने क्षेत्रों पर फोकस करने की सलाह दी है. हालांकि दोनों ही पार्टियां अपने लिए निकाय चुनाव के नतीजों को अच्छा मान रही है. लेकिन वह हार की समीक्षा में भी जुटी हैं.