MP Farmers News: मध्यप्रदेश के किसानों के लिए बड़ी और महत्वपूर्ण खबर है. चना, सरसों और मसूर फसल की खरीदी के लिए पंजीयन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है और अब तीनों फसलों का खरीदी 25 मार्च से 31 मार्च तक चलेगी.
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MP Farmers News: मध्यप्रदेश के किसानों के लिए बड़ी और महत्वपूर्ण खबर है. चना, सरसों और मसूर फसल की खरीदी के लिए पंजीयन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है और अब तीनों फसलों का खरीदी 25 मार्च से 31 मार्च तक चलेगी. इस साल (2024-25) चने का समर्थन मूल्य 5440, सरसों का 5650, मसूर का 6425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.
उपार्जन के लिए नीति जारी
MP के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया है कि विभाग ने प्रदेश में रबी मौसम वर्ष 2023-24 में प्राइस सपोर्ट स्कीम अंतर्गत चना मसूर एवं सरसों की उपज की उचित दर प्राप्त करने के लिए वार्षिक कैलेण्डर घोषित किया है. इससे किसानों को फसल का बेहतर दाम मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि चना मसूर एवं सरसों का उपार्जन 25 मार्च से 31 मई 2024 तक किया जायेगा.
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मसूर की खरीदी इन MP 37 जिलों में
समर्थन मूल्य पर मसूर का उपार्जन (खरीदी) MP के 37 जिलों में होती है. जिसमें राजगढ़, सतना, डिण्डोरी, विदिशा, सागर, रीवा, नरसिंहपुर, दतिया, रायसेन, पन्ना, दमोह, मण्डला, जबलपुर, शाजापुर, अनूपपुर, सिवनी, अशोकनगर, कटनी, मंदसौर, आगर, सीधी, सिंगरौली, सीहोर, छतरपुर, उमरिया, शिवपुरी, शहडोल, होशंगाबाद, भिण्ड, उज्जैन, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, रतलाम, बैतूल, नीमच, हरदा और धार शामिल है.
मसूर की खेती मुख्य रुप से विदिशा, सागर, रायसेन, दमोह, जवलपुर, समना, पन्ना, रीवा, नरसिंहपुर, सीहोर एवं अशोकनगर जिलो में की जाती है
39 जिलों में सरसों का उपार्जन (खरीदी
वहीं समर्थन मूल्य पर सरसों का उपार्जन प्रदेश के 39 जिलों भिण्ड, मुरैना, शिवपुरी, मंदसौर, श्योपुरकलां, ग्वालियर, बालाघाट, टीकमगढ़, छतरपुर, नीमच, डिण्डोरी, मण्डला, दतिया, रीवा, सिंगरौली, आगर, गुना, पन्ना, रतलाम, सतना, अशोकनगर, शहडोल, विदिशा, राजगढ़, सिवनी, अनूपपुर, सीधी, जबलपुर, शाजापुर, कटनी, उज्जैन, उमरिया, रायसेन, सागर, होशंगाबाद, दमोह, छिंदवाड़ा, बैतूल और हरदा में होगा.
गेहूं से पहले क्यों चने की खरीदी?
दरअसल पिछले साल एमपी के पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा था कि चने की फसल फरवरी में ही तैयार हो जाती है. लेकिन, उसकी सरकारी खरीद गेहूं के बाद होती थी. ऐसे में किसान मजबूरी में औने-पौने दाम पर अपनी उपज बेच देता था. जिससे भाव कम हो जाता था. लेकिन अब गेहूं से पहले चने और सरसों की खरीद शुरू हो रही है.